Maha Kumbh Mela History Information in Hindi – कुंभ पर्व या कुंभ मेले का धार्मिक, सास्कृतिक और सामाजिक रूप से विशेष महत्व है, इस कुंभ मेले में करोड़ों श्रद्धालु आते हैं. यह मेला हरिद्वार, प्रयाग (इलाहाबाद), उज्जैन और नासिक में लगता हैं. इन प्रत्येक स्थानों पर कुंभ का मेला प्रति 12वें वर्ष में एक बार लगता हैं और अर्धकुंभ का मेला 6 वर्षो में एक बार लगता हैं.
खगोल गणनाओं के अनुसार – यह कुंभ मेला मकर संक्रांति के दिन प्रारम्भ होता है, जब सूर्य और चन्द्रमा, वृश्चिक राशि में और वृहस्पति, मेष राशि में प्रवेश करते हैं. मकर संक्रांति के होने वाले इस योग को “कुम्भ स्नान-योग” कहते हैं. इस दिन को बहुत विशेष और शुभ माना जाता हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन स्वर्ग का द्वार (उच्च लोकों का द्वार) खुलता हैं और इस प्रकार इस दिन स्नान करने से आत्मा को उच्च लोकों की प्राप्ति में सहजता होती है.
‘Kumbh’ Meaning in Hindi | ‘कुंभ’ का अर्थ
‘कुम्भ‘ का शाब्दिक अर्थ ‘कलश‘ होता हैं, पर यहाँ कुंभ का अर्थ “पवित्र कलश” हैं. इस कलश का हिन्दू सभ्यता में विशेष महत्व हैं. कलश के मुख को भगवान विष्णु, गर्दन को शिव, आधार को ब्रम्हा, बीच के भाग को समस्त देवी-देवताओं और अंदर के जल को सम्पूर्ण सागर का प्रतीक माना जाता हैं.
कुंभ मावन और प्रकृति का संगम है. कुंभ आत्मा-परमात्मा का संगम हैं. कुंभ सभ्यता और संस्कृति का संगम हैं. कुंभ मनुष्य को पाप-पुन्य, प्रकाश-अन्धकार और कर्म-कुकर्म का एहसास दिलाती हैं. कुंभ आंतरिक ऊर्जा-शक्ति को जगाने का स्त्रोत हैं.
कुंभ मेला कहाँ-कहाँ लगता हैं? | Where is the Kumbh Mela is Organised
Kumbh Mela Kaha Kaha Lgta Hai? – कुम्भ मेले का आयोजन चार स्थानों पर होता हैं जो कि इस प्रकार हैं.
प्रयाग (इलाहाबाद) का कुंभ मेला या पर्व | Prayag (Allahabad) Ka Kumbh Mela Ya Parv
प्रयाग में यह मेला संगम (जहाँ गंगा, यमुना और सरस्वती मिलती है.) के तट पर लगता हैं. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार जब बृहस्पति कुंभ राशि में और सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता हैं, तब कुम्भ मेले का आयोजन किया जाता हैं. प्रयाग का कुंभ मेला सभी अन्य मेलों में सार्वधिक महत्व रखता हैं.
हरिद्वार का कुंभ मेला या पर्व | Haridwar Ka Kumbh Mela Ya Parv
हरिद्वार में गंगा नदीं के तट पर कुंभ मेले का आयोजन होता हैं. हरिद्वार को मायापुरी, तपोवन, मोक्षद्वार और गंगाद्वार आदि नामों से भी जाना जाता हैं. हरिद्वार हिन्दू तीर्थ स्थलों में विशेष महत्व रखता हैं.
नासिक का कुंभ मेला या पर्व | Nasik Ka Kumbh Mela Ya Parv
नासिक में गोदावरी नदीं के तट पर कुम्भ का आयोजन होता हैं. भारत में 12 में से एक जोतिर्लिंग त्र्यम्बकेश्वर नामक पवित्र शहर में स्थित है. यह स्थान नासिक से 38 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और गोदावरी नदी का उद्गम भी यहीं से हुआ. 12 वर्षों में एक बार सिंहस्थ कुम्भ मेला नासिक एवं त्रयम्बकेश्वर में आयोजित होता है.
उज्जैन का कुंभ मेला या पर्व | Ujjain Ka Kumbh Mela Ya Parv
उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर बसा है और यहीं पर कुम्भ मेले का आयोजन किया जाता है. इंदौर से इसकी दूरी लगभग पचपन किलोमीटर हैं. उज्जैन भारत के पवित्र एवं धार्मिक स्थलों में से एक हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शून्य अंश (डिग्री) उज्जैन से शुरू होता हैं. सात पवित्र मोक्ष पुरी या सप्त पुरी (अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, कशी, कांचीपुरम, द्वारका और उज्जैन) में से एक हैं.
कुंभ पर्व से सम्बन्धित पौराणिक कथा | Legend related to Kumbha Parva
समुन्द्र मंथन ( Samudr Manthan ) से प्राप्त अमृत कुंभ से अमृत बूँदें गिरने से सम्बन्धित पौराणिक कथा हैं. इस पौराणिक कथा के अनुसार जब महर्षि दुर्वासा के श्राप के कारण इंद्र सहित अन्य देवताओं की शक्तियाँ कमजोर होने लगी और राक्षसों ने उनपर आक्रमण करके उन्हें हरा दिया. तब सभी देवता गण मिलकर तीनों लोकों के स्वामी भगवान विष्णु जी के पास और उन्हें पूरा वृतांत सुनाया. तब भगवान विष्णु ने उन्हें दैत्यों के साथ मिलकर क्षीरसागर का मंथन करके अमृत निकालने की सलाह दी. भगवान विष्णु की बात मानकर देव और दैत्य समुन्द्र मंथन के लिए तैयार हो गये.
समुन्द्र मंथन के लिए पर्वत का एक शिखर मथनी एव एक सर्प रस्सी बनाने के लिए उपयोग किया गया और मंथन शुरू हो गया. इस मंथन के द्वारा चौदह रत्न निकले जो इस प्रकार हैं –
- कालकूट विष
- कामधेनु
- उच्चैश्रवा घोड़ा
- ऐरावत हाथी
- कौस्तुभ मणि
- कल्पवृक्ष
- रंभा अप्सरा
- देवी लक्ष्मी
- वारुणी देवी
- चंद्रमा
- पारिजात वृक्ष
- पांचजन्य शंख
- भगवान धन्वंतरि
- अमृत कलश
समुन्द्र मंथन से जब अंत में अमृत निकला तो देव और दैत्य में अमृत को पहले पीने के लिए लड़ाई होने लगी जिसके फलस्वरूप घड़े से अमृत की कुछ बूँदें पृथ्वी पर चारों स्थानों – इलाहाबाद, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन में गिरी. तभी से प्रत्येक 12 वर्षो के अंतराल पर इन स्थानों पर कुम्भ का मेला आयोजित किया जाता हैं.
भगवान विष्णु ( God Vishnu ) चाहते थे कि अमृत को केवल देवता ही पीकर अमर हो इसलिए उन्होंने एक मोहनी का रूप धर अमृत को देव और दैत्यों में बराबर बांटने की युक्ति बताई. दैत्यों ने मोहनी रूप देखकर अमृत कोा देवों के साथ आधा बांटने के लिए तैयार हो गये. देव और दैत्य अलग-अलग बैठ गये. मोहनी रूप में भगवान देवो को अमृत और दैत्यों को मदिरा पिलाते रहे. परन्तु एक राहू नामक दैत्य भगवान विष्णु के इस चाल को समझ गया और वह चुपके से रूप बदलकर देवो में शामिल हो गया और उसने भी अमृत पी ली. उसी समय भगवान विष्णु अपने रूप में आये और उसका सिर धड़ से अलग कर दिया.
कुंभ में स्नान के लिए विशेष दिन | Kumbh Mein Snaan Ke Lye Vishesh Din
- मकर संक्रांति
- पौष पूर्णिमा
- एकादशी स्नान
- मौनी अमावस्या
- वसन्त पंचमी’
- रथ सप्तमी
- माघी पूर्णिमा
- भीष्म एकादशी
- महाशिवरात्रि
महाकुम्भ मेले से सम्बन्धित अन्य रोचक तथ्य | Other Interesting Facts related to Maha Kumbh Mela
- इस मेले में कल्पवास का विशेष महत्व होता हैं जिसमे एक माह गंगा तट पर रहकर नियम संयम से ईश्वर की प्रार्थना और आराधना की जाती हैं. इससे मन और आत्मा की शुद्धि होती हैं.
- संयुक्त राष्ट्र संगठन, यूनेस्को ( United Nations Organization, UNESCO ) ने कुंभ मेला को मानवता की एक अमूर्त सांस्कृतिक विरासत घोषित किया हैं.
- महाकुंभ और अर्धकुंभ मेला क्रमशः 12 और 6 वर्षों बाद लगता हैं लेकिन इन स्थानों पर कुंभ मेला या माघ मेला प्रतिवर्ष लगता हैं. श्रद्धालुओं की संख्या महाकुम्भ और अर्धकुम्भ में ज्यादा होती हैं.
कुंभ मेला 201 9 के लिए कार्यक्रम और अनुसूची | Program & Schedule For Kumbh Mela 2019
- 2019 का कुम्भ मेला इलाहबाद में आयोजित होगा.
- 2019 कुम्भ मेले का लोगो (Logo) प्रसून जोशी ( Prasoon Joshi ) के द्वारा बनाया गया है.
- कुम्भ मेला 2019 का स्लोगन्स ( Slogan Of Kumbh Mela 2019 ) – चलो कुम्भ चलो-चलो कुम्भ चलो ( Chalo Kumbh Chalo-Chalo Kumbh Chalo )
- Kumbh Mela 2019 – 15 जनवरी से 04 मार्च 2019 तक चलेगा.
- एक अनुमान के अनुसार इस मेले में लगभग दो करोड़ लोग आयेंगे और स्नान करेंगे.
इलाहाबाद कुम्भ मेला 2019 – महत्वपूर्ण स्नान | Allahabad Kumbh Mela 2019 Special Bath Dates
मकर संक्रांति – 14/15 जनवरी, 2019
पौष पूर्णिमा – 21 जनवरी, 2019
मौनी अवमस्या – 04 फरवरी, 2019
बसंत पंचमी – 10 फरवरी, 2019
माघी पूर्णिमा – 19 फरवरी, 2019
महा शिवरात्रि – 04 मार्च, 2019