भारतीय लोकसभा का चुनाव | Lok Sabha Election in Hindi

Lok Sabha Election in Hindi – लोकसभा संसद का प्रथम और निम्न सदन हैं. इसे लोकप्रिय सदन भी कहा जाता हैं. लोकसभा के सदस्य जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं. लोकसभा राज्यसभा से अधिक शक्तिशाली है. लोकसभा चुनाव के क्षेत्र निर्धारित होते हैं, हर क्षेत्र से एक उम्मीदवार को चुना जाता है, जो लोकसभा का सांसद बनता हैं. सांसद को 5 वर्ष के लिए चुना जाता हैं.

लोकसभा टीवी ( Loksabha TV ), लोकसभा का खुद का चैनल है. इससे संसद से सीधे पूरी लोकसभा का प्रसारण किया जाता हैं. संसद भवन के अंदर किसी अन्य मिडिया कर्मी को आने की इजाजत नहीं हैं.

लोकसभा का गठन और सदस्य संख्या | Lok Sabha Formation and Member Number

जब संविधान की रचना हुई थी, उस समय मूल संविधान में लोकसभा की सदस्य संख्या 500 निश्चित की गई थी. परन्तु समय-समय पर इसकी सदस्य संख्या में परिवर्तन किया जाता रहा है. सन् 1974 के 31वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा लोकसभा की अधिक्तम संख्या 547 निश्चित कर दी गई थी, परन्तु अब गोवा, दमन और दीव पुनर्गठन अधिनियम 1987 द्वारा निश्चित किया गया कि 530 सदस्य राज्यों के निर्वाचन क्षेत्रों से व अधिक्तम 20 सदस्य संघीय क्षेत्रों से निर्वाचित किये जा सकेंगे एवं 2 मनोनीत हो सकते हैं. इस प्रकार लोकसभा में अधिक्तम सदस्य संख्या (530+20+2) – 552 हो सकती है. वर्तमान में लोकसभा सीटों की संख्या (530+13+2)=545 हैं, जिनमें से 530 सदस्य राज्यों के निर्वाचन क्षेत्रों से, 13 सदस्य संघीय क्षेत्रों से और 2 सदस्य आंग्ल भारतीय वर्ग के राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत होंगे.

लोकसभा सदस्यों का निर्वाचन | Election of the Lok Sabha Member

निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या और लोकसभा सदस्य सीटों की संख्या बराबर होती हैं. प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से किसी भी पार्टी का एक सदस्य चुना जाता हैं. इन निर्वाचन क्षेत्रों का निर्धारण इस प्रकार किया गया है कि लोकसभा को एक सदस्य कम से कम 5 लाख जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करें.

निर्वाचन व्यवस्था हेतु निर्वाचन आयोग का गठन किया गया हैं, जिसमें मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती हैं. भारत के चुनाव आयोग से यह अपेक्षा की जाती है कि वह निष्पक्षता और ईमानदारी से अपना कार्य करेगा.

मतदाताओं की योग्यता | Voters’ Eligibility

लोकसभा के निर्वाचन में उन समस्त व्यक्तियों को मतदान का अधिकार है, जो निम्न योग्यताओं को पूर्ण करता हो –

  • मतदाता भारत का नागरिक होना चाहिए.
  • मतदाता कम से कम 18 वर्ष की आयु पूरी कर ली हो.
  • मतदाता का नाम मतदाता सूची में होना अनिवार्य है.
  • मतदाता पागल या दिवालिया न हो.
  • मतदाता को संसद के किसी कानून द्वारा किसी अपराध के कारण मताधिकार से वंचित न किया गया हो.
  • पहचान पत्र मतदाता के पास होना अनिवार्य हैं.

सदस्यों की योग्यता | Member’s Eligibility

  • लोकसभा सदस्य उम्मीदवार भारत का नागरिक हो,
  • उम्मीदवार 25 वर्ष की आयु पूर्ण कर ली हो.
  • संसद के किसी कानून के द्वारा अयोग्य न ठहराया गया हो.
  • पागल या दिवालिया घोषित न किया गया हो.
  • भारत सरकार या राज्य सरकार के अधीन किसी लाभ के पद पर कार्यरत न हो.

लोकसभा अध्यक्ष या स्पीकर का चुनाव | Election of Speaker

लोक सभा अपने सदस्यों में से ही एक सदस्य को निर्वाचित करके अध्यक्ष या स्पीकर के पद पर नियुक्त करते हैं. प्रत्येक आम चुनाव के बाद लोकसभा गठित होते ही अध्यक्ष की नियुक्ति हेतु निर्वाचन होता हैं. मुख्यतः जिस राजनैतिक दल का लोकसभा में बहुमत होता हैं, उसी दल का सदस्य चुन कर अध्यक्ष या स्पीकर पद पर नियुक्त हो जाता हैं. परन्तु अब यह परम्परा विकसित हो रही है कि अध्यक्ष का चयन लोकसभा का बहुमत प्राप्त दल कर लेता हैं और उपाध्यक्ष का चयन विपक्षी दल मिलकर कर लेते हैं. अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उपाध्यक्ष सदन की अध्यक्षता करता है. दोनों की अनुपस्थिति में सदन की कार्यवाही के संचालन हेतु पहले से वरिष्टता के अनुसार 6 सदस्यों की सूची तैयार की जाती है, जिसमें से वरिष्टता के अनुसार कोई सदस्य सदन की अध्यक्षता करता हैं. लोकसभा के प्रथम अध्यक्ष या स्पीकर – गणेश वासुदेव मावलंकर (Ganesh Vasudev Mavlankar) थे. लोकसभा अध्यक्ष का कार्यकाल 5 वर्ष का होता हैं.

वर्तमान समय में लोक सभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ( Sumitra Mahajan ) हैं, जो 3 जून, 2014 को चयनित हुई हैं. ये दूसरी महिला लोकसभा स्पीकर हैं.

लोकसभा अध्यक्ष की शक्तियाँ एवं कर्तव्य | The powers and duties of the Speaker of Lok Sabha

भारतीय संविधान द्वारा लोकसभा अध्यक्ष की शक्तियाँ एवं कर्तव्य निर्धारित नहीं किया गये हैं परन्तु संसदीय कार्यवाही की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन सम्बन्धी नियमों के अनुसार लोकसभा अध्यक्ष की शक्तियाँ एवं कर्तव्य निम्न हैं.

  • लोकसभा की बैठकों की अध्यक्षता और कार्यवाही का संचालन करना.
  • लोकसभा के नेता (प्रधानमन्त्री) के परामर्श से सदन की कार्यवाही का कार्यक्रम निश्चित करना.
  • प्रधानमंत्री के परामर्श से राष्ट्रपति के अभिभाषण पर वाद-विवाद के लिए समय निश्चित करना.
  • सदस्यों से प्रश्न पूछने की अनुमति प्रदान करना.
  • सदस्यों को भाषण की अनुमति देना तथा उनका क्रम व समय निश्चित करना.
  • कार्य स्थगन प्रस्तावों को प्रस्तुत करने की अनुमति देना.
  • अध्यक्ष ही यह निश्चित करता है कि कोई विधेयक वित्त विधेयक है या नहीं.
  • सदन की विभिन्न समितियों की बैठकों की अध्यक्षता करना.
  • सदन में अनुशासन और शांति बनाये रखना. अनुशासनहीनता या शन्ति भंग होने की स्थिति में सदन की कार्यवाही को स्थगित कर देना.
  • संसद और राष्ट्रपति के मध्य पत्र-व्यवहार के माध्यम के रूप में कार्य करना.
  • विधेयको तथा प्रस्तवों पर सदन में मतदान कराना एवं परिणाम की घोषणा करना. प्रस्तावों के पक्ष और विपक्ष में समान मतदान होने की स्थिति में अपना निर्णायक मत देना.
  • संसद द्वारा पारित विधेयकों पर हस्ताक्षर करके राष्ट्रपति की स्वीकृति हेतु भेजना.
  • लोकसभा के सदस्यों के विशेषाधिकारों की रक्षा करना.
  • किसी विधेयक को समाचार-पत्रों में प्रकाशित करने की अनुमति देना.
  • लोकसभा की प्रक्रिया से सम्बन्धित विवादस्पद प्रश्नों की व्याख्या करके निर्णय देना.

लोक सभा से सम्बंधित अन्य तथ्य | Other Facts related to Lok Sabha

  • लोकसभा का अधिकत्तम कार्यकाल 5 वर्ष का होता हैं, किन्तु प्रधानमन्त्री की सलाह से राष्ट्रपति कार्यकाल के मध्यय में भी संसद भंग कर सकता हैं. ऐसी घटना अब तक आठ बार हो चुकी हैं – 1970, 1977, 1979,1984,1989,1991,1997 तथा 1999.
  • भारत के पांचवें प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह अपने कार्यकाल में एक दिन के लिए भी लोकसभा में नहीं गये.
  • कैबिनेट मंत्रियों में सबसे बड़ा कार्यकाल जगजीवन राम (32 वर्ष) का रहा हैं.
  • आपातकाल की घोषणा लागू होने पर संसद विधि द्वारा लोकसभा के कार्यकाल में एक बार एक वर्ष के लिए वृद्धि कर सकता हैं. 1976 में लोकसभा का कार्यकाल दो बार एक-एक वर्ष के लिए बढाया गया था.आपात काल की समाप्ति के बाद लोकसभा का कार्यकाल 6 माह से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता.
  • कार्यपालिका सम्बन्धी कार्यों के क्षेत्र में भी राज्य सभा को लोकसभा की तुलना में कम शक्तियां प्राप्त हैं. व्यवहारिक रूप से ऐसा भी कहा जा सकता हैं कि लोकसभा की ताकत राज्य सभा से अधिक होती हैं.
  • लोक सभा और राज्य सभा में उत्तर प्रदेश की सीटें सबसे अधिक ह

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