Kadve Pravachan in Hindi ( Kadve Vachan in Hindi ) – इस पोस्ट में जैन मुनिश्री तरूणसागरजी ( Jain Munishree Tarun Sagar Ji ) के किताब “कड़वे प्रवचन” से कुछ उनके दिल को छूने वाले बेहतरीन विचार दिए हुए हैं. इन्हें जरूर पढ़े.
- जैन मुनि तरुण सागर जी महाराज की जीवनी | Tarun Sagar Ji Maharaj Biography
- मुनिश्री तरूण सागर जी महाराज के अनमोल विचार | Muni Shri Tarun Sagar Ji Maharaj Quotes
Kadve Pravachan in Hindi | तरूणसागर जी के कड़वे प्रवचन
मैं एक पुस्तक पढ़ रहा था. उसमें लिखा था : घर आये अतिथि को भोजन के लिए पूछा करों. भोजन के लिए नहीं पूछ सकते तो पानी के लिए पूछा करो. पानी के लिए भी नहीं पूछ सकते तो आसन दिया करों. आसन भी नहीं दे सकते तो दो मीठे बोल बोला करो. मीठे बोल भी नहीं बोल सकते तो कम से कम मुस्कुराहट तो दिया करो और मुस्कुराहट भीं नहीं दे सकते तो फिर “चुल्लू-भर पानी में डूब मरो”. – मुनिश्री तरूनसागर जी
प्रश्न पूछा है – स्वर्ग मेरी मुट्ठी में हो – इसके लिए मैं क्या करूं? कुछ मत करो. बस इतना करो कि दिमाग को ‘ठंडा’ रखो, जेब को ‘गरम’ रखो, आँखों में ‘शरम’ रखो, जुबान को ‘नरम’ रखो, और दिल में ‘रहम’ रखो. अगर तुम ऐसा कर सके तो फिर तुम्हें स्वर्ग तक जाने की जरूरत नहीं हैं. स्वर्ग ख़ुद तुम तक चलकर आएगा. विडम्बना तो यहीं है कि हम स्वर्ग तो चाहते हैं, मगर ‘स्वर्गीय’ होना नहीं चाहते. – Tarun Sagar Ji Maharaj
भले ही लड़ लेना-झगड़ लेना, पिट जाना पीट देना, मगर बोलचाल बंद मत करना, क्योंकि बोलचाल के बंद होते ही सुलह के सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं. गुस्सा बुरा नहीं है. गुस्से के बाद आदमी जो वैर पाल लेता है, वह बुरा है. गुस्सा तो बच्चे भी करते हैं, मगर बच्चे वैर नहीं पालते. वे इधर लड़ते-झगड़ते है और उधर अगले ही क्षण फिर एक हो जाते हैं. कितना अच्छा रहे कि हर कोई बच्चा ही रहें. – Munishree Tarun Sagar Je Ke Kadve Pravachan
दुनिया में रहते हुए दो चीजों को कभीं नहीं भूलना चहिए. न भूलने वाली चीज – एक तो परमात्मा और दूसरी मौत. भूलने वाली दो बातों में से एक है – तुमने किसी का भला किया तो उसे तुरंत भूल जाओ और दूसरी बात – किसी ने तुम्हारे साथ अगर कभी कुछ बुरा भी क्र दिया तो उसे तुरंत भूल जाओ. बस, दुनिया में ये दो ही बातें याद रखने और भूल जाने जैसी हैं. – मुनिश्री तरूनसागर जी
बुजुर्गों की संगति करो, क्योंकि बुजुर्गो के चेहरे की एक-एक झुर्री पर हजार-हजार अनुभव लिखे होते हैं. उनके कांपते हुए हाथ, हिलती हुई गर्दन, लड़खड़ाते हुए कदम और मुरझाया हुआ चेहरा सन्देश देता हैं कि जो भी सुभ करना है वह आज, अभी और इसी वक्त कर लो. कल कुछ नहीं कर पाओगे. बूढ़ा इंसान इस पृथ्वी का सबसे बड़ा शिक्षालय हैं, क्योंकि उसे देखकर उगते सूरज की डूबती कहानी का बोध होता हैं. – मुनिश्री तरूनसागर जी
मौत दो बातों पर हंसती है. एक तब जब डॉक्टर मरीज को कहता है कि तुम निश्चिंत रहो. मैं हूँ ना. दूसरा, तब जब किसी के मरने पर कोई आदमी कहता हैं, ‘बेचारा चल बसा.’ बेचारा चल बसा – यह कहने वाला इस अंदाज में कहता है जैसे वह कभी नहीं मरेगा. मौत उसके इस अंदाज पर हंसती है और कहती है – ठीक है बच्चू ! तूने उसको बेचारा कहा तो अब तेरा ही नम्बर है. यहाँ कौन है, जो मृत्यु की ‘क्यू’ में न खड़ा हो? – Jainmuni Tarun Sagar Ji
कोई मंदिर गिर जाए तो बहुत ज्यादा घबराने की जरूरत नहीं है, कोई मस्जिद टूट जाए तो भी हो-हल्ला मचाने की जरूरत नहीं है. मंदिर और मस्जिद तो सैकड़ो बार बनेंगे-टूटेंगे, लेकिन इंसानियत का मन्दिर एक बार खंडित हो गया तो फिर किसी में इतना दम नहीं है कि उसे फिर दुबारा से खड़ा कर सके. क्या मिट्टी की ईट, चूना और सीमेंट का मूल्य इंसानियत की ईट, चरित्र का चूना और सत्य के सीमेंट से ज्यादा हो सकता हैं. – मुनिश्री तरूनसागर जी
लक्ष्मी पूजा के काबिल तो है, लेकिन भरोसे के काबिल कतई नहीं हैं. लक्ष्मी की पूजा तो करना, मगर लक्ष्मी पर भरोसा मत करना और भगवान की पूजा भले ही मत करना, लेकिन भगवान पर भरोसा हर-हाल में रखना. दुनिया में भरोसे के काबिल सिर्फ़ भगवान ही हैं. लक्ष्मी का क्या भरोसा? वह तो चंचला है. आज यहाँ और कल वहां. जिस-जिस ने भी इस पर भरोसा किया, आखिर में वह रोया हैं. – मुनिश्री तरूनसागर जी
इसे भी पढ़े –
- आध्यात्मिक विचार हिंदी में | Spiritual Quotes in Hindi
- ब्रह्माकुमारी शिवानी के अनमोल विचार | Brahma Kumari Shivani Quotes in Hindi