Job Shayari (जॉब शायरी) – इस पोस्ट में प्राइवेट जॉब शायरी (Private Job Shayari) दिया गया है जब कोई व्यक्ति प्राइवेट जॉब शुरू करता हैं तो पहले उसे बहुत अच्छा लगता हैं लेकिन धीरे-धीरे उसे अहसास होने लगता है कि उसका शोषण किया जा रहा हैं. शोषण करने की अलग-अलग पहलू होते हैं. नीचे दिए गये जॉब शायरी (Job Shayari) में उन पहलुओ को दिखने की एक छोटी-सी कोशिश है. इन शायरी को पढ़े और मजा ले.
गुलामी के जंजीरों से स्वतंत्रता की शान अच्छी,
चंद रूपये की नौकरी से चाय की दुकान अच्छी.
जॉब पर शायरी (Shayari On Job)
पैसा-पैसा सब करें, सेविंग करे न कोय,
गर्लफ्रेंड पर पैसा खर्च करे और माह के अंत में रोय.
प्राइवेट नौकरी पाना इतना आसां नही,
बस इतना समझ लीजिये,
आग का दरिया है और उसमे मजे लेते जाना हैं.
प्राइवेट कंपनी में वही कुछ कर दिखाता हैं,
जो मेहनती गधे से कंपनी का जीजा बन जाता हैं.
लड़के के कामो में ही, मैनेजर निकाले 32 छेद,
कबीरा तेरे आफ़िस में इतना क्यों मत भेद.
मैनजेर और एचआर की चापलूसी कीजिये,
यदि प्राइवेट जॉब है तो यह कला सीख लीजिए.
प्राइवेट जॉब में लड़को को क्यों होता है गुमान,
लड़की करे न काम फिर भी उसका हो गुणगान.
आपनी भाषा में कबीरा दिया ऐ समझाय,
काम करो उतना, जितने में सैलरी मिल जाय.
अपनी प्राइवेट नौकरी को कुछ इस तरह आसान कर लिया,
मेनेजर की चापलूसी को अपना धर्म बना लिया.
बॉस और एचआर दोनों खड़े, काके लागू पाय,
बलिहारी एचआर जो सैलरी दियो बढ़ाय.
प्रमोशन हुआ तो क्या हुआ, पद का कैसा गुरूर,
औधा तो ऊँचा मिला, सैलरी हाइक अभी दूर.