लूट लेते हैं अपने ही,
वरना गैरों को क्या पता,
इस दिल की दीवार
कमजोर कहाँ से हैं…!!!
दुश्मनों के खेमे में चल रही थी,
मेरे कत्ल की साज़िश
मैं पहुँचा तो वो बोले
यार तेरी उम्र बहुत लम्बी हैं.
जिन्हें सपने देखना अच्छा लगता हैं
उन्हें रात छोटी लगती हैं.
जिन्हें सपने पूरे करना अच्छा लगता हैं
उन्हें दिन छोटा लगता हैं.
ये दिल ही तो जानता हैं
मेरी मोहब्बत का आलम,
मुझे जीने के लिए सांसो की नही
तेरी जरूरत हैं.
रिश्ते वो होते हैं –
जिसमे शब्द कम और समझ
ज्यादा हो…
जिसमें तकरार कम और प्यार
ज्यादा हो…
जिसमें आश कम और विश्वास
ज्यादा हो…
भले ही धर्म का हो पर
कर्म अच्छे हो…
सहम से गयी हैं ख्वाहिशें…
जरूरतों ने शायद उनसे…
ऊँची आवाज में बात की होगी…!!!
मेरी बदतमीजियां तो जग जाहिर हैं,
लेकिन शरीफों के शराफ़त के
निशान क्यों नही मिलते…
कभी तुम पूछ लेना,
कभी हम भी जिक्र कर लेंगे,
छुपकर दिल के दर्द को
एक दुसरे की फ़िक्र कर लेंगे…
धोखा दिया था जब तुमने मुझे,
तब दिल से मैं नाराज था,
फिर सोचा कि दिल से तुम्हे निकाल दूँ
मगर वह कमबख्त दिल भी तुम्हारे पास था.
वो बोलतें रहे,
हम सुनते रहे,
जबाब आँखों में था,
हम लब्जों मेंढूढ़ते रहे.
मोहब्बत नही थे तो एक बार समझाया तो होता…
बेचारा दिल तुम्हारी ख़ामोशी को इश्क समझ बैठा…