Beautiful Good Morning Poem in Hindi – सुबह सभी लोग एक नई उम्मीद और नई ऊर्जा के साथ अपना बिस्तर छोड़कर दिन की शुरूआत करते हैं. सुबह हर व्यक्ति के लिए ख़ास होता हैं और सुबह हर कोई अच्छी बातें करना, अच्छी बातें सुनना, अच्छी चीज़े पढ़ना चाय के साथ पसंद करता हैं.
इस पोस्ट में गुड मोर्निंग पोएम, गुड मोर्निंग कविता, Good Morning Poem in Hindi, Good Morning Poem in Hindi Font, Good Morning Poems in Hindi for Girlfriend, Good Moring Poem in Hindi for GF, Good Moring Poem in Hindi for Lover, Good Moring Poem in Hindi for Children, समय सुबह का कविता, सुबह की कविता, सुबह की सैर पर कविता, Subah Ki kavita in Hindi आदि दिए हुए है. इन्हें जरूर पढ़े.
Good Morning Poem in Hindi | गुड मोर्निंग पोएम हिंदी
ये सुबह की हवा! ये सुबह की हवा!
हैं सभी रोगों की एक अच्छी दवा।
भोर होते ही घर से निकल जाइए,
दूर तक जा के थोड़ा टहल आइए,
ताजगी अपनी साँसों में भर लाइए,
ये सुबह की हवा! ये सुबह की हवा!
उगते सूरज की रंगोली को देखिए,
इन परिंदों की उस टोली को देखिए,
फूूल-पत्तों की हमजोली को देखिए,
ये सुबह की हवा! ये सुबह की हवा!
ये नजारा है बस थोड़ी ही देर का,
है किसे फिर पता वक्त के फेर का,
मुफ्त ले लीजिए बस मज़ा खेल का,
ये सुबह की हवा! ये सुबह की हवा!
जिंदगी में है सेहत नियामत बड़ी,
इसके आगे न दुनिया की दौलत बड़ी,
कौन जाने कहाँ है मुसीबत खड़ी,
ये सुबह की हवा! ये सुबह की हवा!
लेखक – रमेश तैलंग (ये सुबह की हवा)
वो सुबह कभी तो आएगी | साहिर लुधियानवी | एक नई सुबह कविता
वो सुबह कभी तो आएगी
इन काली सदियों के सर से जब रात का आंचल ढलकेगा
जब दुख के बादल पिघलेंगे जब सुख का सागर झलकेगा
जब अम्बर झूम के नाचेगा जब धरती नगमे गाएगी
वो सुबह कभी तो आएगी
जिस सुबह की ख़ातिर जुग जुग से हम सब मर मर के जीते हैं
जिस सुबह के अमृत की धुन में हम ज़हर के प्याले पीते हैं
इन भूखी प्यासी रूहों पर इक दिन तो करम फ़रमाएगी
वो सुबह कभी तो आएगी
माना कि अभी तेरे मेरे अरमानों की क़ीमत कुछ भी नहीं
मिट्टी का भी है कुछ मोल मगर इन्सानों की क़ीमत कुछ भी नहीं
इन्सानों की इज्जत जब झूठे सिक्कों में न तोली जाएगी
वो सुबह कभी तो आएगी
दौलत के लिए जब औरत की इस्मत को ना बेचा जाएगा
चाहत को ना कुचला जाएगा, इज्जत को न बेचा जाएगा
अपनी काली करतूतों पर जब ये दुनिया शर्माएगी
वो सुबह कभी तो आएगी
बीतेंगे कभी तो दिन आख़िर ये भूख के और बेकारी के
टूटेंगे कभी तो बुत आख़िर दौलत की इजारादारी के
जब एक अनोखी दुनिया की बुनियाद उठाई जाएगी
वो सुबह कभी तो आएगी
मजबूर बुढ़ापा जब सूनी राहों की धूल न फांकेगा
मासूम लड़कपन जब गंदी गलियों में भीख न मांगेगा
हक़ मांगने वालों को जिस दिन सूली न दिखाई जाएगी
वो सुबह कभी तो आएगी
फ़आक़ों की चिताओ पर जिस दिन इन्सां न जलाए जाएंगे
सीने के दहकते दोज़ख में अरमां न जलाए जाएंगे
ये नरक से भी गंदी दुनिया, जब स्वर्ग बनाई जाएगी
वो सुबह कभी तो आएगी
जिस सुबह की ख़ातिर जुग जुग से हम सब मर मर के जीते हैं
जिस सुबह के अमृत की धुन में हम ज़हर के प्याले पीते हैं
वो सुबह न आए आज मगर, वो सुबह कभी तो आएगी
वो सुबह कभी तो आएगी
लेखक – साहिर लुधियानवी
Good Morning Poem in Hindi for Life | सुप्रभात कविता जिन्दगी के लिए
सुबह आयी
तेरे इंतज़ार की खुशबू लेकर
फिर तमाम दिन मुझे तेरा इंतज़ार रहा
शाम आयी
तेरे ना आने की मायूसी लेकर
फिर तमाम रात अंधेरो मे ढूढ़ा है तुझे
और बांधी है उम्मीद अगली सुबह से
मेरी ज़िन्दगी के हसीन पल
तू कहाँ था?
आज आया है
तो मेरी आँखों में चमक ही नहीं
बुझ गया है तेरा इंतज़ार
जला कर खुद को
तुझको पाने को लगाया था खुद को दाँव पर
ऐसा लगता है
तुझ को पाया है खोकर खुद को
मेरी ज़िन्दगी के हसीन पल
तू कहाँ था?
साथ लेकर तुझे
होकर जुदा अपनों से
मैं भटकता हूँ जैसे आज रेगिस्तानों में
इश्क़ के कतरे मुकद्दर में कभी थे ही नहीं
चंद समझोते थे
जो तेरी आहटों से
मोजुदगी से
कैद हो गए ज़रूरतो के मकानों में
मेरी ज़िन्दगी के हसीन पल
तू कहाँ था?
जी मे आता है भगा दू तुझ को
या फिर तुझसे भाग जाऊ कहीं
नहीं है तू हसीन पल जीवन का
तू मेरा वो ही पुराना साथी है
खेलता आया है जो बचपने से साथ मेरे
तेरा नाम दर्द है तू वही तन्हाई है
बस आज इस दुनिया के रंगीन मौसम में
अपनी सूरत बदल कर साथ मेरे
चल रहा है बड़ी कशिश के साथ
शायद खुश है
सुन रहा है मेरी बेचैन आवाज़
के
मेरी ज़िन्दगी के हसीन पल
तू कहाँ था ?
कहाँ?
लेखक – मनोज अहसास (सुबह आयी )
Good Morning Poems in Hindi for Girlfriend
सुबह-सुबह तुम्हारे फोन का आना,
सोते हुए मेरा फोन को उठाना,
प्यार से तुम्हारा “गुड मोर्निंग” बोल जाना,
उसके बाद मेरा तुम्हारी बातों में खो जाना,
आज भी याद आता हैं
दिल तुम्हें खोने से घबराता हैं.
Good Morning Poem in Hindi for Lover
अब कोई प्यार की पहल तो करे
ज़िन्दगी का सवाल हल तो करे
कोई सूरत हो या हो वीरानी
दिल किसी बात पर अमल तो करे
राह आगे की मिल ही जायेगी
उम्र भर की कोई टहल तो करे
शोख़ियाँ, पर वे आइने में कहाँ!
उनकी हरदम करे नक़ल, तो करे
पंखड़ी है गुलाब की बेरंग
छूके होँठों से वह ग़ज़ल तो करे
लेखक – गुलाब खंडेलवाल ( अब कोई प्यार की पहल तो करे )
Good Morning Poem in Hindi Font
पलकों पर
सजे सुनहरे सपने
पत्तों पर
गिरे चमकीले मोती
चांदनी पर
खिले सफ़ेद फूल
हमें बताते हैं
हमारी भूल
ये सब
बिखर जाते हैं
कुछ पल में
विचार नहीं बदलते
जीवन-भर
जीवन नदी है
कहीं नहीं रूकती
चाँद-सूरज
कभी नहीं थकते
जैसे रूका पानी
असहनीय हो जाता है
वैसे रूके विचार
अमानवीय हो जाते हैं
विचारों को
सपनों की तरह
टूटने दो
मोतियों की तरह
बिखरने दो
फूलों की तरह
झरने दो
तभी हमें
अहसास हो पाएगा
एक नई सुबह का
लेखिका – किरण मल्होत्रा ( नई सुबह )
सुबह की कविता | Good Morning Poem for Wife in Hindi
सूरज की किरणें आती हैं,
सारी कलियाँ खिल जाती हैं,
अंधकार सब खो जाता है,
सब जग सुन्दर हो जाता है
चिड़ियाँ गाती हैं मिलजुल कर,
बहते हैं उनके मीठे स्वर,
ठंडी-ठंडी हवा सुहानी,
चलती है जैसी मस्तानी
ये प्रातः की सुख बेला है,
धरती का सुख अलबेला है,
नई ताज़गी नई कहानी,
नया जोश पाते हैं प्राणी
खो देते हैं आलस सारा,
और काम लगता है प्यारा,
सुबह भली लगती है उनको,
मेहनत प्यारी लगती जिनको
मेहनत सबसे अच्छा गुण है
आलस बहुत बड़ा दुर्गुण है
अगर सुबह भी अलसा जाए
तो क्या जग सुन्दर हो पाए
लेखक – श्रीप्रसाद (सुबह)
Good Morning Poems | गुड मोर्निंग कविता
हम बागों की हरियाली हैं-
चिड़ियों के चहकारे हम!
हम नदियों की कल-कल, छल-छल
नई सुबह के तारे हम!
हममें है फूलों की खुशबू
झरनों का मधुमय संगीत,
हममें रंग भरे तितली के
हम प्रकृति के हैं नवगीत।
हम श्रोता हैं परी कथा के
दुनिया के उजियारे हम!
हम जीवन के मीठे सपने
हँसी-खुशी के बाइस्कोप,
हम जब खुलकर मुस्कातेहैं
दुख हो जाता पल में लोप।
चहकें-महकें मगर न बहकें
सबसे न्यारे, प्यारे हम!
हम बागों की हरियाली हैं,
चिड़ियों के चहकारे हम!
लेखक – भगवतीप्रसाद द्विवेदी ( नई सुबह के तारे हम )
Motivational Good Morning Poem in Hindi | सुबह की कविता
हम पड़े रहते हैं
नींद की चादर के नीचे
सुविधाओं को तह किए
और बाहर
सुबह की धूप हमारा इंतज़ार करती है
खिड़की-रोशनदानों पर दस्तक देती हुई
सब कुछ जानते-समझते हुए भी
हम बेख़बर रहते हैं
सुबह की इस धूप से
जो हर सुराख से पहुँच रही
अपनी चमकीली किरणों के साथ
अंधकार को भेदती हुई
यह उतरती है
पहाड़ की सबसे ऊँची चोटी पर
फिसलती हुई
घास पर पड़ी ओस की बूँदों में
मेतियों की तरह चमकती है
पेड़ की फुनगियों से झूला झूलती है
नहाती है समुद्र की लहरों में
चिड़ियों की तरह चहचहाती है
स्कूल के बच्चों की तरह
घर से बाहर निकलती है
कितनी नटखट है यह धूप
सुबह-ही-सुबह
हमारी नींद
हमारी दुनिया में हस्तक्षेप करती है
डायरी की तरह खोल देती है
एक पूरा सफ़ेद दिन
इसी तरह जगाती है
हम-जैसे सोये आदमी को
उसे ज़िन्दगी की मुहिम में
शामिल करती है हर रोज़ ।
लेखक – कौशल किशोर (सुबह की धूप)
सुबह की कविता | Subah Ki Kavita in Hindi
हुई शाम मेरी सवेरे-सवेरे,
कोई क्यों नहीं चल रहा साथ मेरे ।
चला था जहाँ से, वहीं का वहीं हूँ,
अकेले-अकेले मैं हूँ भी, नहीं हूँ,
स्वयं इस तरह क्यों कहीं-का-कहीं हूँ
मैं कितना गलत हूँ, मैं कितना सही हूँ
रुलाते बहुत हैं सफ़र के अन्धेरे,
कोई क्यों नहीं चल रहा साथ मेरे…
किया ज़िन्दगी भर धुनाई-बुनाई,
कटाई-छँटाई, सिलाई-कढ़ाई,
फटे-चीथड़ों से सुई की सगाई,
मरम्मत कोई भी नहीं काम आई,
लगाता रहा निर्वसन वक़्त फेरे,
कोई क्यों नहीं चल रहा साथ मेरे…
उगाएं जो जँगल हमारे वतन में,
सगे हैं वे सबसे सियासी चलन में,
जगाते रहे खौफ़ जन-गण के मन में
चमकदार मणि नागराजों के फन में
थिरकती रहीं नागिनें मरघटों पर,
बजाते रहे बीन बूढ़े सँपेरे,
कोई क्यों नहीं चल रहा साथ मेरे…
लेखक – जयप्रकाश त्रिपाठी
Good Morning Kavita | सुबह की कविता
सुबह बनने चली दोपहर
फिर भी सोया पड़ा है शहर
प्यार के गीत के बोल तक
भूलते जा रहे हैं अधर
हैं पराए-पराए-से दिल
अजनबी-अजनबी-सी नज़र
भीड़ ही भीड़ है हर तरफ़
फिर भी तन्हा हैं हम किस क़दर
रौशनी तो बहुत तेज़ है
खो गई है कहीं पर डगर
लेखक – विनोद तिवारी (सुबह बनने चली दोपहर)
सुबह की कविता | Suprabhat Par Kavita
आँख मलते हुए जागती है सुबह
और फिर रात दिन भागती है सुबह
सूर्य के ताप को जेब में डाल कर
सात घोंडों का रथ हांकती है सुबह
रात सोई नहीं नींद आई नहीं
सारे सपनों का सच जानती है सुबह
बाघ की बतकही जुगनुओं की चमक
मर्म इतना कहाँ आकती है सुबह
आहटें शाम के रात की दस्तकें
गुड़मुड़ी दोपहर लांघती है सुबह
लेखक – विजय वाते (सुबह)
इसे भी पढ़े –