Dussehra Vijayadashami Mahatva Essay Nibandh Katha Datein Hindi – दशहरा (Dussehra) को विजयदशमी (Vijayadasami) के नाम से भी जाना जाता हैं, इसे हर साल नवरात्रि के अंत में बड़े धूम-धाम से मनाया जाता हैं. यह एक बहुत ही बड़ा हिन्दू त्यौहार हैं. दशहरा (विजयदशमी) आम तौर पर सितम्बर या अक्टूबर महीने में पड़ता हैं.
दशहरे के दिन अधिकतर लोग नया कार्य करते हैं और लोगो की ऐसी अवधारणा है कि इस दिन जो भी कार्य आरम्भ किया जाएँ उसमे विजय (सफलता) जरूर मिलती हैं. इस दिन जगह-जगह मेले लगते हैं और रामलीला का भी आयोजन होता हैं. रावण का विशाल पुतला बनाकर उसे जलाया जाता हैं. दशहरा (Dussehra) अथवा विजयदशमी (Vijayadasami) भगवान राम की विजय के रूप में और देवी दुर्गा की पूजा के रूप में, दोनों ही रूपों में यह शक्ति-पूजा का पर्व है. इसमें लोग घरो में रखे शास्त्रों का भी पूजन करते हैं.
रावण (बुराई) का पुतला जलाने के साथ-साथ लोगो के अंदर के दस पापों का काम, क्रोध, लोभ, मोह मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग की प्रेरणा मिलती है. यह एक हर्ष, उल्लास, ख़ुशी और विजय का पर्व हैं.
दशहरा कब मनाया जाता हैं | Dussehra 2018 Date
Dussehra Kab Hai? – अश्विन (क्वार) मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को राम ने रावण का वध किया और देवी दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था. इसे दिन हम दशहरा (विजयदशमी) मनाते हैं. यह अग्रेजी महीने के अनुसार सितम्बर या अक्टूबर महीने में मनाया जाता हैं.
- शुक्रवार, 19 अक्टूबर 2018 (Friday, 19 October 2018)
- मंगलवार, 08 अक्टूबर 2019 (Tuesday, 08 October 2019)
दशहरा पर्व से सम्बंधित कथाएँ
- भगवान् श्री राम का रावण पर विजय
- देवी माँ दुर्गा के द्वारा राक्षस महिषासुर का वध
- पांड्वो का वनवास
दशहरे का धार्मिक महत्व
इस पर्व से सम्बंधित जो भी कथाएँ प्रचलित हैं उन सब से हमें यही सीख मिलता है कि बुराई कितनी भी बड़ी उसके बावजूद अच्छाई की ही जीत होगी. अधर्म पर धर्म का और असत्य पर सत्य की जीत होगी. यह पर्व हर व्यक्ति को यह सीख देती हैं कि हमेंसबको सत्य मार्ग पर चलते हुए अपने कार्य को करना चाहिय. मन के अन्दर आने वाले बुराई जैसे क्रोध, बैर, दुःख, इर्ष्या और आलस्य इन्हें भी रावण की तरह जला कर ख़त्म कर देना चाहिए और सच्चे मन से उत्तम कार्यो को करना चाहिए.
भारत के अलग-अलग प्रदेशो में दशहरा मनाने का तरीका
- पंजाब – यहाँ पर दशहरा नवरात्रि के नौ दिन उपवास रखकर मनाते हैं. यहाँ पर भी रावणदहन और मेले का आयोजन होता हैं.
- बिहार (बस्तर) – यहाँ पर दशहरे का मुख्य कारण राम की रावण पर विजय न मानकर, लोग इसे माँ दंतेश्वरी की आराधना को समर्पित एक पर्व मानते हैं. माँ दंतेश्वरी को देवी दुर्गा का ही रूप माना जाता है और यह उनकी आराध्य देवी भी हैं.
- बंगाल, उड़ीसा और असम – यहाँ पर यह पर्व माँ दुर्गा के पूजा के रूप में मनाया जाता हैं. यह बंगालियों, ओड़िसा, और आसाम के लोगो का महत्वपूर्ण त्यौहार हैं. बंगाल में यह पांच दिनों का त्यौहार होता हैं. ओड़िसा और असम में यह चार दिन का त्यौहार होता हैं.
- तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश एवं कर्नाटक – यहाँ दशहरा नौ दिनों का होता है और इसमें तीनो देवियाँ लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा की पूजा करते हैं. तीन दिन देवी लक्ष्मी (धन की देवी), तीन दिन देवी सरस्वती (विद्या की देवी) और तीन दिन देवी दुर्गा (शक्ति की देवी) की पूजा करते हैं.
- गुजरात – यहाँ पर कुछ अलग तरीके से ही मनाया जाता हैं मिट्टी का अलंकृत रंगीन घड़ा देवी का प्रतीक माना जाता हैं इसे कुंवारी स्त्रियाँ सिर पर रखकर नृत्य करती हैं जिसे गरबा कहते हैं. गरबा नृत्य इस पर्व की शान हैं, इसे अन्य शहरो और प्रदेशो में भी लोगो भी इस पर्व पर गरबा नृत्य करते हैं.पुरुष और स्त्रियां दो छोटे रंगीन डंडों (डांडिया) को संगीत की लय पर आपस में बजाते हुए घूम घूम कर नृत्य करते हैं.
वर्तमान समय में दशहरा का बदलता स्वरूप
वर्तमान समय में लोग दशहरे के प्रति धीरे-धीरे उदासीन होते चले जा रहे हैं इसके बहुत से कारण हैं आज भी हम इसे जरूर मनाते है पर इसके मूल सिद्धांत को अपने जीवन से कोशो दूर रखते हैं. दशहरे के प्रति लोगो के उदासीनता का कारण कुछ इस प्रकार हैं.
- पहले दशहरे में लोगो का एक दुसरे से काफी मिलना जुलना होता था परन्तु वर्तमान समय में लोग दशहरा शायरी या दशहरा कोट्स मोबाइल से भेजकर ही दशहरा मना लेते हैं. इसकी वजह से भी इसके प्रति लोगो की उदासीनता बढ़ रही हैं.
- दशहरे में रावण को जलाने के लिए बहुत सारे पटाखे प्रयोग किये जाते हैं जिसकी वजह से वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण होता हैं जिसकी वजह से इसे मनाने के तरीके को कुछ लोग पसंद नही करते हैं. लोगो को कोशिश करनी चाहिए दशहरा मनाने में वायु और ध्वनि प्रदूषण न हो.
- दशहरे में कई स्थानों पर देवी दुर्गा की प्रतिमा बनाई जाती हैं जिसको बाद में किसी नदी में विसर्जन किया जाता हैं जिससे जल प्रदूषण होता हैं. इससे ऐसे तरीके से मनाना चाहिए जिससे जल प्रदूषण न हो.
- वर्तमान समय में कुछ ज्यादा ही व्यस्त रहते है जिसके कारण ऐसे त्यौहारों में लोग बहुत कम समय दे पाते हैं या बिलकुल ही नही दे पाते हैं.
- शहरो में मेले के आयोजन से बहुत ज्यादा जाम लग जाता हैं जिससे लोगो को काफी परेशानी होती हैं. खास कर एम्बुलेंस के लिए भी बिल्कुल रास्ता नही मिलता हैं.
- इस तरह की और भी बहुत सारी समस्याएँ है जिसकी वजह से बुद्धि जीवी वर्ग इसे मनाने से कतराते हैं.
इसे भी पढ़े –