भारत में इस ब्लू व्हेल गेम (Blue Whale Game) कई बच्चो का जान ले चुका है, न्यूज़ चैनेल और अखबारों में आये दिन यह सुनने को मिल रहा हैं कि ब्लू व्हेल गेम से मौते हो रही हैं इसलिए बच्चो के साथ-साथ घर के अभिभावकों को भी सतर्क रहना चाहिए ताकि एक गेम के चक्कर में कोई और मौत न हो. यह कोई खेल नही महज एक पागलपन हैं. इस खेल के शिकार ज्यादातर वो युवा बनते हैं जो तनाव ग्रस्त और अवसादग्रस्त हैं. बहुत से बच्चे इस गेम को जिज्ञासावश शुरू कर देते हैं. यह खेल हर रूप में जानलेवा हैं इससे अपने बच्चो को दूर रखे.
ब्लू व्हेल गेम – खेल नही पागलपन (Blue Whale Game – Not a Game, Its Madness)
- 2013 में रूस से शुरू यह खेल दुनियाभर में 130 लोगो के मौत का कारण बन चुका हैं.
- यह ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफार्म, सोशल मिडिया ऐप या ऑनलाइन कम्युनिटी मैसेजिंग के द्वारा खेला जाता हैं जिससे इसके एडमिनिस्ट्रेटर को पकड़ना मुश्किल होता हैं.
- ब्लू व्हेल गेम (Blue Whale Game) की अवधि पचास दिन की होती हैं जिसमें एडमिन खिलाड़ी को रोज एक टास्क देता हैं.
- यह टास्क किसी भी तरह का हो सकता हैं जैसे हॉरर मूवी देखने का, हाथों पर ब्लेड से निशान बनाना, अपने होठ काटना, छत के टॉप कार्नर पर खड़े होकर सेल्फी लेना और अंत में खुद का जान लेना.
ब्लू व्हेल गेम की सर्च में भारत पहले नंबर पर (India at number one in search of Blue Whale Games)
पिछले कुछ दिनों से ब्लू व्हेल गेम और इससे होने वाले मौतों की चर्चा कुछ ज्यादा होने लगी हैं इसकी वजह यह हैं कि यह गेम भारत में सबसे अधिक सर्च किया जा रहा हैं. गूगल ट्रेंड के अनुसार दक्षिण भारत में इसे सबसे ज्यादा सर्च किया जा रहा हैं. यह कोच्चि और तिरूअनंतपुरम में इसकी सर्च सबसे अधिक हैं. भारत के इन शहरो में भी इसकी सर्च ज्यादा हैं – मुंबई, दिल्ली, पंजाब, गाजियाबाद, गुवाहाटी, जयपुर आदि शहरो में इसकी सर्च की रेटिंग ज्यादा हैं.
सरकार ने लगाया बैन (Government banned)
भारत के बहुत से राज्यों ने इस खेल को बैन कर दिया हैं, केन्द्रीय सुचना प्राद्योगिकी मंत्रालय ने फेसबुक, गूगल और याहू जैसे इन्टरनेट कंपनी को भी इस गेम पर बन लगाने को कहा हैं. बच्चो को इस खेल से दूर रखने के लिए माता-पिता बच्चो के ऑनलाइन गतिविधियों पर ध्यान रखे.