Alok Shrivastav Shayari Status Quotes Ghazal Image in Hindi – इस आर्टिकल में मशहूर लेखक/कवि आलोक श्रीवास्तव के शायरी स्टेटस कोट्स ग़ज़ल इमेज आदि दिए हुए है. ये शायरी स्टेटस कोट्स इनकी रचनाओं और ग़ज़लों के ही अंश है. इन्हें जरूर पढ़े.
Alok Shrivastav Shayari in Hindi
जरा पानी की चाहत में बहुत कुछ छूट जाता है,
नदी का साथ देता हूँ तो समंदर रूठ जाता है.
गनीमत है नगर वालों लुटेरों से लुटे हो तुम
हमें तो गाँव में अक्सर दरोगा लूट जाता है.
आलोक श्रीवास्तव
मुद्द्तों खुद की खबर ना लगे
कोई अच्छा भी इस कदर ना लगे,
बस तुझे उस नजर से देखा है
जिस नजर से तुझे नजर ना लगे,
मैं जिसे दिल से प्यार करता हूँ
चाहता हूँ उसे खबर ना लगे,
वो मेरा दोस्त भी है दुश्मन भी
बद्दुआ दू मगर उसे ना लगे.
आलोक श्रीवास्तव
हमने दुनिया की तरफ देखा नहीं,
तुमको देखा और कुछ सोचा नहीं
दिल जैसे पाक मरियम की दुआ
उसके चेहरे पर कोई चेहरा नहीं
ख्वाब तो कबके तुम्हारे हो चुके
एक दिल था वो भी अब अपना नहीं
तुमने आखिर सुबह से क्या कह दिया
आज सूरज शर्म से निकला नहीं।
आलोक श्रीवास्तव
Alok Shrivastav Status in Hindi
वही आँगन, वही खिड़की, वही दर याद आता है,
अकेला जब भी होता हूँ मुझे घर याद आता है.
Alok Shrivastav
जरा सा तुमसे क्या आगे बढ़ा हूँ,
तुम्हारी आँख में चुभने लगा हूँ.
Alok Shrivastav
मैं अपने आप हूँ इतना पीछे,
कि अपने आप से जलने लगा हूँ.
Alok Shrivastav
Alok Shrivastav Quotes in Hindi
होने को फिर शिकार नई उलझनों से हम
मिलते है रोज अपने कई दोस्तों से हम
वर्षों फरेब खाते रहे दूसरों से हम
अपनी समझ में आये बड़ी मुश्किलों से हम.
Alok Shrivastav
मंज़िल पे ध्यान हम ने ज़रा भी अगर दिया
आकाश ने डगर को उजालों से भर दिया
रुकने की भूल हार का कारन न बन सकी
चलने की धुन ने राह को आसान कर दिया
Alok Shrivastav
आलोक श्रीवास्तव की गजल | Alok Shrivastav Ki Ghazal
धूप हुई तो आँचल बन कर कोने कोने छाई अम्माँ
सारे घर का शोर-शराबा सूना-पन तन्हाई अम्माँ
सारे रिश्ते जेठ-दुपहरी गर्म हवा आतिश अंगारे
झरना दरिया झील समुंदर भीनी सी पुर्वाई अम्माँ
उस ने ख़ुद को खो कर मुझ में एक नया आकार लिया है
धरती अम्बर आग हवा जल जैसी ही सच्चाई अम्माँ
घर में झीने रिश्ते मैं ने लाखों बार उधड़ते देखे
चुपके चुपके कर देती है जाने कब तुरपाई अम्माँ
बाबू-जी गुज़रे आपस में सब चीज़ें तक़्सीम हुईं तब
मैं घर में सब से छोटा था मेरे हिस्से आई अम्माँ
आलोक श्रीवास्तव
आलोक श्रीवास्तव शायरी
जिन बातों को कहना मुश्किल होता है
उन बातों को सहना मुश्किल होता है
इस दुनिया में रह कर हम ने ये जाना
इस दुनिया में रहना मुश्किल होता है
Alok Shrivastav
मुझे सिरे से पकड़ कर उधेड़ देती है
मैं एक झूट वो सच्चे सुबूत जैसी है
मैं रोज़ रोज़ तबस्सुम में छुपता फिरता हूँ
उदासी है कि मुझे रोज़ ढूँढ लेती है
Alok Shrivastav
झिलमिलाते हुए दिन-रात हमारे ले कर
कौन आया है हथेली पे सितारे ले कर
हम उसे आँखों की देहरी नहीं चढ़ने देते
नींद आती न अगर ख़्वाब तुम्हारे ले कर
Alok Shrivastav
आलोक श्रीवास्तव स्टेटस
रोज़ ख़्वाबों में आ के चल दूँगा
तेरी नींदों में यूँ ख़लल दूँगा
आलोक श्रीवास्तव
ये सोचना ग़लत है कि तुम पर नज़र नहीं
मसरूफ़ हम बहुत हैं मगर बे-ख़बर नहीं
आलोक श्रीवास्तव
यही तो एक तमन्ना है इस मुसाफ़िर की
जो तुम नहीं तो सफ़र में तुम्हारा प्यार चले
आलोक श्रीवास्तव
Alok Shrivastav Ghazal
जब भी तक़दीर का हल्का सा इशारा होगा
आसमाँ पर कहीं मेरा भी सितारा होगा
दुश्मनी नींद से कर के हूँ पशेमानी में
किस तरह अब मिरे ख़्वाबों का गुज़ारा होगा
मुंतज़िर जिस के लिए हम हैं कई सदियों से
जाने किस दौर में वो शख़्स हमारा होगा
मैं ने पलकों को चमकते हुए देखा है अभी
आज आँखों में कोई ख़्वाब तुम्हारा होगा
दिल परस्तार नहीं अपना पुजारी भी नहीं
देवता कोई भला कैसे हमारा होगा
तेज़-रौ अपने क़दम हो गए पत्थर कैसे
कौन है किस ने मुझे ऐसे पुकारा होगा
आलोक श्रीवास्तव
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