पतंग पर कविता | Kite Poem in Hindi

Kite ( Patang ) Poem Kavita Poetry Image in Hindi – इस आर्टिकल में पतंग पर बेहतरीन कविताएं दी गई है. पतंग बिना पंख के आकाश में एक डोर के सहारे उड़ती है. इन कविताओं के माध्यम से आप पतंग से भी प्रेरणा ले सकते है.

Kite Poem in Hindi

इस कविता को “अनुपमा श्रीवास्तव अनुश्री ” ने लिखा है जिसके भाव बड़े ही अच्छे और उत्साहवर्धक है. कविता का शीर्षक “किसने मुझे कहा, पतंग हूँ मैं” है.

Kite Poem in Hindi
किसने मुझे कहा, पतंग हूँ मैं | Kisne Mujhe Kaha, Patang Hoon Main | Patang Par Kavita

किसने मुझे कहा, पतंग हूँ मैं
अपनी ही मस्ती में, मलंग हूँ मैं।

करती हूँ कभी सात समंदर पार
तो कभी एवरेस्ट चढ़ती
अब तो अंतरिक्ष पर भी
ध्वजा पहरा दी है अपने नाम की
सचमुच हौसलों में बुलंद हूँ मैं
किसने मुझे कहा, पतंग हूँ मैं.

अष्ट भुजाएं है मेरी
करती हूँ संभाल – देखभाल
अपनों की, जिम्मेदारियों की
जब बाहर निकलती हूँ
अच्छी खबर लेती हूँ दुश्वारियों की
प्रतिभा, प्रेम, धैर्य, साहस का
खिला इंद्रधनुषी रंग हूँ मैं
किसने मुझे कहा, पतंग हूँ मैं

हां, पतंग पसंद बहुत है मुझे
रंग बिरंगी प्यारी प्यारी
भर जाती है मुझ में भी
जोश ए जुनूं सपनों को
सच करने की तैयारी
कायनात का मधुर मृदंग हूँ मैं
किसने मुझे कहा, पतंग हो मैं.

ग़र मान भी लो पतंग मुझको
तो भी यह पक्का कर लो
अपनी डोर कभी दी नहीं तुमको
डोर भी मेरी और उड़ान भी मेरी
अपने फ़ैसले खुद करती, दबंग हूँ मैं
किसने मुझे कहा, पतंग हूँ मैं.
अनुपमा अनुश्री


पतंग पर कविता

यह “अनुपमा अनुश्री” की एक बाल कविता है, जिसका शीर्षक “मेरी पतंग” है.

पतंग पर कविता
मेरी पतंग | Meri Patang | Patang Par Kavita

सर्र-सर्र, फर्र-फर्र, उड़ चली पतंग,
छूने दूर गगन।

सहेली भी है डोर
उमंगों का नहीं छोर।

पल-पल बढ़ती जाये मतवाली
रंग-बिरंगी, प्यारी-प्यारी।

ऊँचे-ऊँचे उड़ती जाती
मुश्किलों से बचती जाती।

कहती, सपने देखो ऊँचे,
उन्हें सच करना भी है सिखलाती।


Kite Poem for Children in Hindi | पतंग

Kite Poem for Children in Hindi
Kite Poem for Children in Hindi Class 1 | Kite Poem in Hindi | पतंग पर कविता

सर-सर सर-सर उडी पतंग
फर-फर फर-फर उडी पतंग

इसको काटा, उसको काटा,
खूब लगाया सैर सपाटा।

अब लड़ने में जुटी पतंग,
अरे कट गई, लुटी पतंग।

सर-सर सर-सर उड़ी पतंग,
फर-फर फर-फर उड़ी पतंग।


पतंगों का मौसम – शिव मृदुल

Kite Poetry in Hindi
Kite Poetry in Hindi | पतंगों का मौसम – शिव मृदुल

मौसम आज पतंगों का है
नभ में राज पतंगों का है
इन्द्रधनुष के रंगों का है
मौसम नई उमंगों का है

निकले सब ले डोर पतंगें
सुन्दर सी चौकोर पतंगें
उड़ा रहे कर शोर पतंगें
देखो चारों ओर पतंगें

उड़ी पतंगें बस्ती बस्ती
कोई मंहगी, कोई सस्ती
पर न किसी में फूटपरस्ती,
उड़ा-उड़ा सब लेते मस्ती

चली डोर पर बैठ पतंगें
इठलाती सी ऐंठ पतंगें
नभ में कर घुसपैठ पतंगें
करें परस्पर भेंट पतंगें

हर टोली ले खड़ी पतंगें
कुछ छोटी कुछ बड़ी पतंगें
आसमान में उड़ी पतंगें
पेच लड़ाने बढ़ी पतंगें

कुछ के छक्के छूट रहे हैं
कुछ के डोर टूट रहे हैं
कुछ लंगी ले दौड़ रहे हैं
कटी पतंगें लूट रहे हैं
शिव मृदुल


एक उड़ती पतंग ( Kite ) हमें यह सिखाती है कि एकता में कितनी ताकत होती है. केवल पतंग आकाश ( Sky ) में उतना ऊँचा नहीं उठ सकता है और ना ही डोर उतनी ऊँची उठ सकती है. जब पतंग डोर से जुड़ती है तो दोनों ही ऊपर उठते है. इसके साथ इसमें उड़ाने वाले का हुनर भी लगता है. यानि उड़ाने वाला व्यक्ति, डोर और पतंग एक टीम ( Team ) की तरह काम करते है. इसलिए आकाश की उंचाईयों को छूते है. अगर आप भी अपने जीवन में आकाश की उंचाईयों को छूना चाहते है तो टीम के महत्व को हमेशा याद रखे.

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