Sin Quotes Thoughts Sayings Suvichar Image Photo in Hindi – इस आर्टिकल में पाप पर सुविचार और पाप पर अनमोल विचार दिए हुए है.
मनुष्य का जीवन पाना अपने आप में किसी वरदान से कम नहीं है. इसलिए पाप कर्म करके इस जीवन को नष्ट नहीं करना चाहिए। इंसान अपने पापों का फल इसी पृथ्वी पर भोगता है. अगर कोई पाप गलती से हो जाएँ तो उसका प्रयाश्चित कर लेना चाहिए। शायद ईश्वर माफ़ कर दें क्योंकि वो बड़ा ही दयालु है.
Sin Quotes in Hindi
दूसरे की स्त्री से अनुचित सम्बन्ध
से बड़ा पाप दूसरा नहीं है.
प्रेमचन्द
एक छेद भी जहाज को
डुबो देता है और एक पाप
भी पापी को नष्ट कर देता है.
जॉन बन्यन
पाप में पड़ना मानव स्वभाव है,
उसमें डूबे रहना शैतान स्वभाव है,
उस पर दुखित होना संत स्वभाव है और
सब पापों से मुक्त होना ईश्वर स्वभाव है.
लांगफेलो
अनजाने में जो पाप होता है
उसका प्रायश्चित है – देवता
उसे क्षमा कर देते है किन्तु
जान बूझकर जो पाप किया जाता है,
उससे कैसे बचा जा सकता है.
शरतचन्द्र
किसी कर्म को पाप नहीं कहा जा सकता,
वह अपने नग्न रूप में पूर्ण है,
पवित्र है. युद्ध में हत्या करना धर्म है,
परन्तु दूसरे स्थल पर अधर्म।
जयशंकर प्रशाद
पाप पर सुविचार
संसार में सब प्राणी स्वतंत्र और
स्वाभाविक जीवन व्यतीत करने के
लिए आए है, उनको स्वार्थ के लिए
कष्ट पहुँचाना महान पाप है.
लोकमान्य तिलक
प्राणघात, चोरी और व्यभिचार
ये तीन शारीरिक पाप है. झूठ बोलना,
निंदा करना, कटु वचन एवं व्यर्थ भाषण
ये चार वाणी के पाप है. परधन की इच्छा,
दुसरे की बुराई की इच्छा, असत्य, हिंसा,
दया-दान में अश्रद्धा ये मानसिक पाप है.
महात्मा बुद्ध
जब हम मृत्यु को स्मरण करते हैं तो हजारों पाप,
जिन्हें हमने कीड़े-मकोड़ों की तरह पैरों के नीचे
मसल डाला है, हमारे विरूद्ध फणदार सर्प की तरह
खड़े होते है.
वाल्टर स्काट
जिस प्रकार अग्नि अग्नि का शमन नहीं कर सकती,
उसी प्रकार पाप पाप का शमन नहीं कर सकता।
टालस्टाय
पाप की उजरत मृत्यु है.
बाइबिल
Sin Thoughts in Hindi
पाप करने का अर्थ यह नहीं कि
जब वह आचरण में आ जाए
तब ही उसकी गिनती पाप में हुई.
पाप तो जब हमारी दृष्टि में आ गया ,
विचार में आ गया, वह हमसे हो गया.
महात्मा गाँधी
कोई भी कर्म अपने आप पाप
अथवा पुण्य नहीं हो सकता,
ठीक जिस प्रकार बिंदु या शून्य का
स्वतः कोई मूल्य नहीं होता।
स्वामी रामतीर्थ
पाप छिपाने से बढ़ता है.
शरतचन्द्र
माता, गौ और ब्राह्मण को वध
करने वाले को जो पाप लगता है
वही पाप शरणागत की हिंसा
करने वाले को भी लगता है.
वेदव्यास
मानवों के सम्पूर्ण पापों को मैं
उनके स्वभाव की अपेक्षा उनकी
बीमारी समझता हूँ.
रस्किन
Quotes on Sin in Hindi
पाप क्या है ? किस-किस कर्म को पाप कहा गया है ? कोई कर्म कब पाप बन जाता है और कब वही कर्म पुण्य होता है? इसका सटीक विश्लेषण किया है, हमारे ऋषि-मुनियों, मनीषियों एवं विश्व-प्रसिद्द विचारकों ने. आइये देखे; क्या है पाप और कैसा है इसका प्रभाव –
जैसे सूखी लकड़ियों के साथ
गीली लकड़ी भी जल जाती है,
उसी प्रकार पापियों के संपर्क में रहने से
धर्मात्माओं को भी उनके समान
दण्ड भोगना पड़ता है.
वेदव्यास
पाप सदैव पाप है
चाहे वह किसी आवरण में मंडित है.
प्रेमचन्द
यदि मुझे विश्वास होता कि
ईश्वर मुझे क्षमा कर देगा और
मनुष्य मेरे पाप को न जान सकेंगे,
तो भी पाप की अनिवार्य तुच्छता के
कारण मुझे उसके करने में लज्जा आएगी।
प्लेटो
जिस कार्य में आत्मा का
पतन हो वही पाप है.
महात्मा गाँधी
शरीर से तभी पाप होते है
जबकि पाप मन में होते है.
छोटे बच्चे के मन में काम नहीं होता,
वह युवतियों के वक्षस्थल पर खेलता है,
उसके शरीर में कोई विकार नहीं होता।
अज्ञात
Sin Sayings in Hindi
शरीर को रोगी और
दुर्बल रखने के समान
कोई दूसरा पाप नहीं है.
लोकमान्य तिलक
इसमें तनिक भी संदेह नहीं
कि समय आने पर कर्ता को
उसके पाप का फल अवश्य मिलता है.
बाल्मीकि
जहाँ किसी प्रलोभन से प्रेरित
होकर तुम कोई पाप करने को
उतारू हो, वहीं ईश्वर की
उपस्थिति का अनुभव करो.
स्वामी रामतीर्थ
पाप में पड़ने वाला मनुष्य होता है,
जो पाप पर पश्चाताप करता है वह साधू,
जो पाप पर अभिमान करता है वह शैतान है.
फुलर
पापों की स्मृति
पापों से अधिक
भयानक होती है.
सुदर्शन
Paap Quotes in Hindi
पाप का फल दुःख नहीं,
किन्तु एक दूसरा पाप है.
जयशंकर प्रसाद
पाप एक करूणाजनक वस्तु है,
मानवीय विवशता की द्योतक है,
उसे देखकर दया आती है, लेकिन
पाप के साथ निर्लज्जता और
मदान्धता एक पैशाचिक लीला है,
दया व धर्म की क्षमा के बाहर।
प्रेमचंद
पाप कमजोर के रूप और धन पर
इस तरह लपकता है जैसे बकरी पर चीता।
सुदर्शन
संसार का पुरस्कार मृत्यु है।
स्वामी रामतीर्थ
दरिद्रता और धन दोनों तुलनात्मक पाप है.
विक्टर ह्यूगो
पाप पर अनमोल वचन
मनुष्य जब एक बार पाप के नागपाश
में फंसता है, वब वह उसी में और भी
लिपटता जाता है, उसी के गाढ़ आलिंगन
में सुखी होने लगता है. पापों की श्रृंखला
बन जाती है. उसी के नए-नए रूपों में
आसक्त होना पड़ता है.
जयशंकर प्रसाद
पाप ईमानदारी को इस तरह निगल लेता है
जैसे नदियों की उछलती हुई लहरें
किनारे की हरियाली को.
अज्ञात
संसार में दुर्बल और
दरिद्र होना पाप है.
प्रेमचंद
एक पाप दुसरे पाप का
दरवाजा खोल देता है.
अज्ञात
पापों की स्मृति पापों से
अधिक भयानक होती है.
सुदर्शन
पाप के लिए स्टेटस
चालाक मनुष्य जब कभी पाप करता है
तो वह खुद को समझा लेता है कि यह पाप नहीं है.
पाप के समय भी मनुष्य का
ध्यान इज़्ज़त की तरफ़ रहता है.
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