Chhatrapati Shivaji Maharaj History in Hindi – छत्रपति शिवाजी महाराज भारत के महान योद्धा व रणनीतिकार थे जिन्होंने मराठा साम्राज्य की नींव रखी. उन्होंने कई वर्ष औरंगजेब के मुगल सामाज्य से संघर्ष किया. सन् 1674 में रायगढ़ में उनका राज्याभिषेक हुआ और छत्रपति बने.
Shivaji Maharaj Biography in Hindi | शिवाजी महराज का जीवनी
नाम – शिवाजी भोसले ( Shivaji Bhonsle )
पूरा नाम – शिवाजी शाहजी भोसले
जन्मतिथि – 19 फ़रवरी, 1630 / 20 अप्रैल, 1627
जन्मस्थल – शिवनेरी दुर्ग (पुणे)
धर्म – हिन्दू
पिता – शाहजी भोसले ( Shahaji Bhonsle )
माता – जीजाबाई (Jijabai)
पत्नी – साईबाई निम्बालकर
मृत्यु – 3 अप्रैल, 1680 (50-53 की उम्र में)
मृत्युस्थल – रायगढ़ फोर्ट
20 अप्रैल, 1627 ई. को पूना के उत्तर में स्थित जुन्नान नगर के निकट शिवनेर के दुर्ग में शिवाजी का जन्म हुआ. उनके पिता का नाम शाहजी भोसले और माता का नाम जीजाबाई था. जीजाबाई देवगिरी के महान जागीरदार यादवराय की पुत्री थी. शाहजी भोसले ने न केवल अहमदनगर राज्य में ही शक्ति और सम्मान प्राप्त किया था बल्कि उस अवसर पर वह बीजापुर राज्य में प्रतिष्ठित पद पर थे. उन्होंने युद्ध , शासन और विद्वानों को संरक्षण प्रदान करनेकी दृष्टि से बीजापुर में ख्याति प्राप्त की थी. इस कारण शिवाजी के पिता एक शक्तिशाली और सम्मानित सामंत थे, परन्तु शाहजी ने तुकाबाई मोहिते नामक एक अन्य स्त्री से विवाह कर लिया था और जीजाबाई अपने पुत्र शिवाजी को लेकर अपने पति से अलग रहती थी, अतः शिवाजी को अपने पिता का संरक्षण प्राप्त न हो सका. परन्तु यह कहना भूल होगा कि शाहजी ने पाने पुत्र का बिल्कुल ध्यान नहीं रखा था. शाहजी ने पाने योग्य और वफ़ादार सेवक दादाजी कोंणदेव को शिवाजी की देखभाल और शिक्षा के लिए नियुक्त किया था.
12 वर्ष की आयु में शिवाजी को अपने पिता से पूना की जागीर प्राप्त हुई थी. 1640 ई. में 12 वर्ष की आयु में शिवाजी का विवाह साईबाई निम्बालकर नाम की लड़की से कर दिया गया. शिवाजी ने ‘मावल प्रदेश‘ को अपने जीवन की प्रारम्भिक कार्यस्थली बनाया. इसके अतिरिक्त शाहजी ने अपने पुत्र की सहायता के लिए, बाद में भी, कुछ योग्य अधिकारी भेजे थे जो उनके सहायक सिद्ध हुए.
छत्रपति शिवाजी महाराज ( Chhatrapati Shivaji Maharaj ) ने अपनी माँ से साहस, दृढ़-निश्चय, अत्याचार का विरोध और धर्म के प्रति रुचि प्राप्त की. शिवाजी के व्यक्तित्व पर सर्वाधिक प्रभाव उनकी माँ जीजाबाई का पड़ा था. माँ के बाद शिवाजी अपने गुरो एवं संरक्षक ‘दादाजी कोंणदेव’ से प्रभावित थे. पुस्तकीय शिक्षा में उनकी रुचि न थी परन्तु युद्ध और साहसिक कार्यों के लिए वह सदैव तत्पर रहते थे. यह कहना सर्वथा उचित हैं कि उनके चरित्र-निर्माण में जीजाबाई का बहुत बड़ा योगदान था और यह उनकी सफलता का एक मुख्य कारण बना.
शिवाजी महाराज राज्याभिषेक | Shivaji Maharaj Rajyabhishek
16 जून, 1674 ई. में शिवाजी ने अपना काशी के प्रसिद्ध विद्वान् “श्री गंगाभट्ट” द्वारा अपना राज्याभिषेक करवाया. छत्रपति की उपाधि ग्रहण की और रायगढ़ को अपनी राजधानी बनाया. उस युग के महान विद्वान, वेदों के ज्ञाता और बनारस के महान पण्डित विश्वेश्वर उर्फ़ गंगाभट्ट ने शिवाजी को क्षत्री माना, उदयपुर के राजपूत-राजवंश से उनका सम्बन्ध बताया और हिन्दू रीति-रिवाजों के अनुसार बड़ी धूमधाम से शिवाजी का राज्याभिषेक हुआ. उन्होंने ‘छत्रपति’ की उपाधि ग्रहण की और भगवा-ध्वज उनका झंडा बना. इस अवसर पर शिवाजी ने बहुत धन व्यय किया. परन्तु इस प्रसन्नता में थोड़ी बाधा 12 दिन पश्चात तब हुई जब शिवाजी की माता जीजाबाई की मृत्यु हो गई.
Shivaji Maharaj History in Hindi | शिवाजी महराज का इतिहास
- शिवाजी का मूल उद्देश्य मराठों की बिखरी हुई शक्ति को एकत्रित करके महाराष्ट्र में एक स्वतंत्र हिन्दू-राज्य की स्थापना करना था.
- दादाजी कोंणदेव की संरक्षता के समय में शिवाजी ने पूना के आसपास के किलों को जीतना आरम्भ कर दिया. कोंणदेव शिवाजी के इस कार्य से सहमत न थे, परन्तु वह शिवाजी को इस कार्य से रोक भी न सके. 1647 ई. में कोंणदेव की मृत्यु हो गयी और शिवाजी अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिए पूर्णतया स्वतंत्र हो गये.
- 1656 ई. तक शिवाजी बिना किसी बड़े संघर्ष के विभिन्न मराठा सरदारों को एकत्रित करने, विभिन्न दुर्गो को जीतने तथा महाराष्ट्र और कोंकण प्रदेश के कुछ भाग पर अधिकार में सफलता पा चुके थे.
- 25 जनवरी, 1656 ई. में शिवाजी की एक महत्वपूर्ण विजय जावली की थी.
- अप्रैल 1656 ई. में शिवाजी ने ‘रायगढ़’ को अपनी राजधानी बनाया.
- 1657 ई. में शिवाजी का मुक़ाबला पहली बार मुगलों से हुआ. दक्षिण के सूबेदार औरंगजेब ने बीजापुर पर आक्रमण किया और बीजापुर ने शिवाजी से सहायता मांगी. यह अनुभव करके कि दक्षिण में मुगलों की बढ़ती हुई शक्ति को रोकना आवश्यक हैं. इस युद्ध में औरंगजेब बुरी तरह से पराजित हुआ.
- बीजापुर शिवाजी महराज ( Shivaji Maharaj ) के अहसानों को भूलकर शिवाजी को दबाने के लिए तत्पर हो गया. 1659 ई. में बीजापुर-राज्य ने अपने एक प्रख्यात सरदार अफजलखां को शिवाजी को कैद करने या मार डालने के लिए भेजा. शिवाजी को इस बात की जब जानकारी हुई तो अपनी बचाव के लिए अफ़जलखां को मार दिया.
- 1660 ई. में मुगल-सूबेदार शाइस्ताखां को शिवाजी को समाप्त करने के आदेश दिए गये. उसने बीजापुर-राज्य से मिलकर शिवाजी को समाप्त करने की योजना बनाई और शिवाजी से पूना, चाकन और कल्याण को छीनने में सफलता प्राप्त की.
- 1663 ई. में शाइस्ताखां ने पूना में वर्षा बिताने की योजना बनाई. तब शिवाजी अपने 400 बहादुर सैनिकों के साथ पूना में प्रवेश कर गये और आक्रमण करने में सफल हो गये. शाइस्ताखां इस अचानक आक्रमण से घबराकर भाग खड़ा हुआ. यद्यपि शिवाजी केवल उसका अँगूठा काटने सफ़ल हुए परन्तु उनका यह आक्रमण बहुत सफल रहा.
- 1665 ई. में औरंगजेब ने राजा जयसिंह को शिवाजी के विरूद्ध भेजा. राजा जयसिंह अपने समय का योग्यतम सेनापति और कूटनीतिज्ञ था. जयसिंह ने बाजीपुर और शिवाजी के सरदारों को लालच देकर अपने साथ ले लिया. पूरी तरह तैयारी करके जयसिंह ने शिवाजी पर आक्रमण कर दिया वज्रगढ़ को जीतकर जयसिंह ने पुरंदर के किले में शिवाजी को घेर लिया. अंत में रक्षा सम्भव न हो पाने की वजह से शिवाजी ने आत्मसमर्पण कर दिया और जिसमें 23 किले और 4 लाख हूण की वार्षिक आय की भूमि मुंगलो को दे दी.
- 1670 ई. में शिवाजी ने मुगलों से पुनः युद्ध आरम्भ किया. पुरन्दर की संधि द्वारा खोये गये अपने अनेक किलों को शिवाजी ने पुनः जीत लिया. इसी समय कोंगना के किले को नानाजी ने अपने साहस से जीता जिसे शिवाजी ने सिंहगढ़ का नाम दिया.
- 1672 ई. में मराठों का झगड़ा बीजापुर से भी हुआ और मराठों ने पन्हाला पर आक्रमण किया. मराठों ने पन्हाला, पार्ली और सतारा के दुर्गो को भी जीत लिया. इस प्रकार, कुछ ही वर्षो में शिवाजी ने मुगलों और बीजापुर के अनेक दुर्गो और भू-प्रदेशों को जीतने में सफ़लता प्राप्त की.
शिवाजी महाराजद्वारा चलाया गया सिक्का | Shivaji Maharaj Rajmudra
शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के 12 दिन बाद ही उनकी माता का देहांत हो गया था इस कारण से 4 अक्टूबर 1674 को दूसरी बार शिवाजी ने छत्रपति की उपाधि ग्रहण की. इस समारोह में हिन्दू स्वराज की स्थापना का उद्घोष किया गया था. विजयनगर के पतन के बाद दक्षिण में यह पहला हिन्दू साम्राज्य था.एक स्वतंत्र शासक की तरह उन्होंने अपने नाम का सिक्का चलवाया.
शिवाजी महराज का मृत्यु | Shivaji Maharaj Death
अपने अंतिम समय में शिवाजी ने एक बार फिर बीजापुर को मुगलों के विरूद्ध सहायता दी. परन्तु अब शिवाजी का अंतिम समय निकट आ गया था. वह बीमार हो गये और करीब 12 दिन की बीमारी के पश्चात 14 अप्रैल, 1680 ई. को 53 वर्ष की अवस्था में शिवाजी का मृत्यु हो गया.
शिवाजी महाराज ( Shivaji Maharaj ) ने निरंतर बीजापुर राज्य और मुगलों की दक्षिण को ओर बढ़ती हुई शक्ति के विरूद्ध संघर्ष किया. अपने इस संघर्ष में उन्होंने सफ़लता पायी. अपनी मृत्यु के समय तक उन्होंने एक बड़े तथा स्वतंत्र राज्य का निर्माण कर लिया.
छत्रपति शिवाजी महाराज से सम्बन्धित तथ्य | Chhatrapati Shivaji Maharaj related Facts
- शिवाजी महाराज प्रथम छत्रपति थे.
- शिवाजी महोत्सव की स्थापना 1895 ई. में की गयी थी.
- महाराष्ट्र में सबसे पहले गणेश चतुर्थी के त्यौहार की शुरूआत छत्रपति शिवाजी महाराज ने की थी.
- शिवाजी शुक्राचार्य तथा कौटिल्य को आदर्श मानकर कूटनीति का सहारा लेते थे.
- शिवाजी महाराज ने प्राचीन हिन्दू राजनीतिक प्रथाओं तथा दरबारी शिष्टाचारों को पुनर्जीवित किया और फारसी के स्थान पर मराठी एवं संस्कृत को राजकाज की भाषा बनाया.
प्रमुख तिथियाँ और घटनाएँ
1594 : शिवाजी के पिता शाहजी भोंसले का जन्म
1596 : माँ जीजाबाई का जन्म
19 फ़रवरी,1630 : शिवाजी का जन्म
1630 : से 1631 तक महाराष्ट्र में अकाल
14 मई 1640 : शिवाजी और साईबाई का विवाह
1646 : शिवाजी ने पुणे के पास तोरण दुर्ग पर अधिकार कर लिया
1656 : शिवाजी ने चन्द्रराव मोरे से जावली जीता
10 नवंबर, 1659 : शिवाजी ने अफजल खान का वध किया
1659 : शिवाजी ने बीजापुर पर अधिकार कर लिया
6 से 10 जनवरी, 1664 : शिवाजी ने सूरत पर धावा बोला और बहुत सारी धन-सम्पत्ति प्राप्त की
1665 : शिवाजी ने औरंगजेब के साथ पुरन्धर शांति सन्धि पर हस्ताक्षर किया
1666 : शिवाजी आगरा कारावास से भाग निकले
1667 : औरंगजेब राजा शिवाजी के शीर्षक अनुदान। उन्होंने कहा कि कर लगाने का अधिकार प्राप्त है
1668 : शिवाजी और औरंगजेब के बीच शांति सन्धि
1670 : शिवाजी ने दूसरी बार सूरत पर धावा बोला
1674 : शिवाजी ने रायगढ़ में ‘छत्रपति’ की पदवी धारण की। 18 जून को जीजाबाई की मृत्यु
1680 : शिवाजी की मृत्यु
शिवाजी महाराज पर शायरी | Shayari on Shivaji Maharaj
माँ के मुख से सुनी हमने कहानी थी,
वीर शिवाजी की गाथाएँ याद उसे जुबानी थी.
Chhatrapati Shivaji Maharaj Shayari in Hidni
छत्रपति शिवाजी बनते हैं –
माँ जीजाबाई के दुलार से,
भवानी की तलवार से,
सिंह की ललकार से,
और दुष्टों के संहार से.
हम शेर है, शेरों की तरह हँसते हैं,
क्योंकि हमारें दिलों में छत्रपति शिवाजी बसते हैं.
Shivaji Shayari in Hindi
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