महत्वपूर्ण शेयर बाजार शब्दावली | Share Market Terminology

Share Market Terminology in Hindi – शेयर बाजार के बारें में जानना और इसमें निवेश करना हर एक व्यक्ति का सपना होता हैं. निवेश से पहले शेयर बाजार और उससे सम्बंधित चीजों की जानकारी का होना भी अनिवार्य हैं. इस पोस्ट में ‘महत्वपूर्ण शेयर बाजार शब्दावली’ दिए गये हैं इसे जरूर पढ़े और अपने Share Market के ज्ञान को बढायें.

Share Market Terminology in Hindi | शेयर बाजार शब्दावली हिंदी में

#1 – एक्टिव शेयर | Active Share

बाजार के वो शेयर जिनका क्रय-विक्रय ( Buy-Sell ) नियमित रूप से प्रतिदिन शेयर बाजार ( Share Market ) में होता हैं, उसे एक्टिव शेयर कहते हैं.

#2 – राईट शेयर | Right Share

किसी कम्पनी द्वारा जारी नये शेयरों को क्रय करने का पहला अधिकार वर्तमान शेयर होल्डर ( Current Shareholder ) का होता हैं. वर्तमान शेयर होल्डर के इस अधिकार को पूर्ण क्रय का अधिकार कहा जाता हैं और इस के कारण उनको जो शेयर प्राप्त होते हैं. उसे राईट शेयर कहा जाता हैं.

#3 – बोनस शेयर | Bonus Share

जब किसी कम्पनी द्वारा अपने अर्जित लाभों में से रखे नये रिजर्व को शेयर के रूप में वर्तमान शेयर होल्डरों के मध्य आनुपातिक रूप से बाँट दिया जाता हैं तो उसे बोनस शेयर कहते हैं.

#4 – पूर्वाधिकार शेयर | Preferencial Share

वैसे शेयरों को पूर्वाधिकार शेयर कहा जाता हैं जिनको सामान्यतः दो पूर्वाधिकार प्राप्त होते है. कंपनी द्वारा सर्वप्रथम इनको लाभांश का भुगतान किया जाता हैं तथा लाभांश की दर निश्चित होती हैं. यदि भविष्य में कम्पनी का समापन होता हैं तो लेनदारों का भुगतान करने के बाद कम्पनी की संपत्तियों से वसूल की गयी राशि में से इस श्रेणी की शेयर होल्डर को अपनी पूँजी एनी शेयर होल्डर की तुलना में पहले प्राप्त करने का अधिकार होता हैं.

#5- कंट्रेरियन शेयर | Contraian Share

इस श्रेणी में उन शेयरों को सम्मिलित किया जाता हैं जो बाजार के रूख से अलग दिशा में चलते हैं अर्थात बाज़ार में शेयरों के भाव में वृद्धि हो रही हैं तो इन शेयरों के भाव कम हो जाते हैं और यदि बाजार का रूख गिरावट का हैं तो इन शेयरों का मूल्य बढ़ जाता हैं.

#6 – डिफेंसिव शेयर | Defensive Share

जिन शेयरों के मूल्यों में भारी उतार चढ़ाव नहीं होते हैं उनको डिफेंसिव शेयर कहा जाता हैं. इन शेयरों पर वर्तमान लाभ तथा पूँजीगत लाभ सामान्य दर से बढ़ता हैं.

#7- ए. डी. इंडेक्स | Advance Decline Index

इन सूचकांक का प्रयोग शेयर बाजार की तेजी या मंदी के रूख का पता लगाने के लिए किया जाता हैं. इसकी गणना के लिए एक दिन में जिन शेयरों के मूल्य बढ़ते हैं, उनकी संख्या में उन शेयरों को भाग दिया जाता हैं जिनके मूल्य उस दिन गिरे होते हैं. यदि इंडेक्स 1 से अधिक होता हैं तो बाज़ार में तेजी का रुख़ होता हैं और इंडेक्स 1 से कम होता हैं तो बाज़ार में मंदी का रूख होता हैं.

#8- ब्लो आउट | Blow Out

जब कोई कम्पनी अपना नया इश्यू जारी करती हैं और उसका सब्सक्रिप्शन पहले ही दिन पूरा होकर बंद हो जाता हैं तो उसे ब्लो आउट ( Blow Out ) या आउट ऑफ़ विंडो ( Out of Window ) कहा जाता हैं.

#9 – इनसाइडर ट्रेडिंग | Insider Trading

यह एक अवैध कार्य हैं. जब उन व्यक्तियों द्वारा भारी मात्रा में शेयरों का क्रय-विक्रय करके लाभ कमाया जाता हैं, जिनके पास कम्पनी की गुप्त सूचनाएँ रहती हैं तो इस प्रकार के शेयरों के क्रय-विक्रय को इनसाइडर ट्रेडिंग कहा जाता हैं.

#10 – कैश ट्रेडिंग | Cash Trading

कैश ट्रेडिंग के अंतर्गत शेयर सर्टिफिकेट ( Share Certificate ) तथा नकद धन राशि ( Cash Money ) का लेन-देन अगली समायोजन तिथि से पहले ही हो जाना चाहिए. अब दलालों के सभी कैश ट्रेडिंग के लेन-देनों का समायोजन हो जाता हैं तो इसको समायोजन तिथि ( Adjustment Date ) कहा जाता है पर यह 14 दिन से अधिक नही हो सकती हैं.

#11- कर्ब ट्रेडिंग | Curb Trading

जब शेयर बाजार के निर्धारित ट्रेडिंग समय के बाद अलग से सौदे किये जाते हैं तो इसको कर्ब ट्रेडिंग कहा जाता हैं. यद्यपि सौदे दलालों के द्वारा किये जाते हैं, परन्तु इनको वैधानिक नही माना जाता हैं. इस प्रकार किये गए सौदों का विवरण शेयर बाजार में उपलब्ध नही रहता हैं. वर्तमान में यह सेबी द्वारा प्रतिबंधित हैं.

#12- स्टैग | Stag

स्टैग उन व्यक्तियों को कहते हिं जो नई कम्पनियों के इश्युओ में भारी मात्रा में शेयरों के आवेदन पत्र प्रेरित करते हैं. इनको यह आशा रहती हैं कि जब कुछ व्यक्तियों को शेयर नही मिलेंगे तो वे इन शेयरों को बढ़े मूल्य पर ख़रीदने को तैयार हो जायेंगे. यह व्यक्ति केवल आवेदन पत्र की राशि प्रेषित करते हैं तथा शेयर आवंटित होते ही बेच देते हैं.

#13 – वोलेटाइल शेयर | Volatile Share

जिन शेयरों की कीमतों में बहुत अधिक परिवर्तन होते है, उन्हें वोलेटाइल शेयर कहा जाता हैं.

#14- फ्लोटिंग स्टॉक | Floating Stock

किसी कंपनी की चुकता पूँजी का वह भाग फ्लोटिंग स्टॉक कहलाता हैं जो शेयर बाजार में क्रय-विक्रय के लिए उपलब्ध रहता हैं.

#15- शेयर सर्टिफिकेट | Share Certificate

यह एक ऐसा प्रमाण पत्र है जो कम्पनी के मोहर के अधीन शेयर धारक के नाम जारी किया जाता हैं तथा इसमें उन शेयरों इसमें उन शेयरों के नंबर दिए रहते हैं, जिनके लिए यह जारी किया जाता हैं. उसमे शेयर भुगतान की गयी धनराशि का विवरण होता हैं.

#16- बेयरर डिबेंचर | Bearer Debenture

ऐसा डिबेंचर जिसका हस्तांतरण केवल सुपुर्दगी के द्वारा हो जाता हैं, उनको डिबेंचर कहा जाता है. डिबेंचर के साथ लगे कूपन को प्रस्तुत करने पर ब्याज तथा डिबेंचर को प्रस्तुत करने पर मूलधन का भुगतान प्रस्तुतकर्त्ता को प्राप्त हो जाता हैं. खो जाने तथा चोरी हो जाने पर इस प्रकार के डिबेंचर के पूर्ण जोख़िम होते हैं.

#17- बंधक डिबेंचर | Secured Debenture

इस प्रकार के डिबेंचर कम्पनी के सम्पत्ति पर प्रभार रखते हैं. अतः इनका भुगतान सुरक्षित होता हैं. बंधक दो प्रकार के होते हैं – एक चल प्रभाव और दूसरा निश्चित प्रभाव. चल प्रभाव की स्थिति में किसी निश्चित सम्पत्ति पर प्रभाव नही होता हैं. केवल कम्पनी के समापन की स्थिति में इन डिबेंचरों को भुगतान में प्राथमिकता मिल जाती हैं. निश्चित प्रभाव की स्थिति में डिबेंचरों का कम्पनी की किसी निश्चित सम्पत्ति में प्रभाव होता हैं. ऐसी सम्पत्ति को कम्पनी न तो बेच सकती हैं और न ही हस्तांतरित कर सकती हैं.

#18- परिवर्तनशील डिबेंचर | Convertible Debenture

ये ऐसे ऋण पत्र होते हैं जिनके धारको को कम्पनी यह विकल्प देती हैं कि वे किसी निश्चित अवधि के अंदर अपने ऋण पत्र को कम्पनी के शेयर में बदलवा सकते हैं. परिवर्तन की शर्ते सामान्यतः निर्गमन के समय ही तय कर दी जाती हैं, परन्तु ये शर्ते कम्पनी में अलग-अलग हो सकती हैं.

#19- हंग अप | Hung Up

जब किसी शेयर का भाव किसिस निवेशक द्वारा क्रय किये गये भाव से काफी नीचे चला जाता हैं तथा ऐसी स्थिति में अधिक घाटा उठाकर शेयर बेचने के बदले वह निवेशक भविष्य में उसके भाव बढ़ने की आशा में अपने शेयरों को रखे रहे तो ऐसी स्थिति को हंग अप कहा जाता हैं.

#20- स्नोबालिंग | Snowballing

जब किसी शेयर के मूल्य एक निश्चित सीमा में पहुँच जाते हैं, तब क्रय-विक्रय के अनेक स्टॉप आर्डर होने लगते हैं. इन आर्डर के कारण पुनः बाजार में दबाव बनता हैं तथा पुनः आर्डर मिलने लगते हैं तो उस स्थिति को स्नोबालिग़ कहा जाता हैं.

#21- ग्रे मार्किट | Gray Market

यह अनाधिकृत बाजार होता हैं जहाँ नयी तथा अभी शेयर बाजार में सूचीबद्ध न हुई प्रतिभूतियों का प्रीमियम पर लेन-देन होता हैं. ये सौदे भी अनाधिकृत होते हैं. इन सौदों को शेयर बाजार का संरक्षण नही होते हैं.

#22- ट्रेडिंग लॉट | Trading Lot

शेयरों की वह न्यूनतम संख्या या गुणांक को ट्रेडिंग लॉट कहा जाता हैं, जिसे शेयर बाजार में एक बार में बेचा या क्रय किया जा सकता हैं. सामान्यतः 10 रूपये मूल्य वाले शेयरों की न्यूनतम संख्या 50 या 100 निर्धारित की जाती हैं जबकि 100 रूपये मूल्य वाले शेयरों की संख्या 5 या 10निर्धारित की जाती हैं.

#23- शार्ट सेलिंग | Short Selling

जब किसी दलाल द्वारा इतने शेयरों की बिक्री की जाती हैं, जितने उसके पास शेयर नही होते हैं तो इसे शार्ट सेलिंग कहा जाता हैं. अनुबंध पूरा करने के लिए दलाल द्वारा नीलामी में शेयर क्रय किये जाते हैं.

#24- पी. ई. अनुपात | PE Ratio

किसी कम्पनी के प्रति शेयर के बाजार भाव में प्रति शेयर आय से भाग देकर पी. ई. अनुपात ज्ञात किया जाता हैं.
PE Ratio = price per share / earnings per share (EPS)

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