Rajesh Reddy Shayari Ghazal – अपनी लाचारी और बेबसी को भी गजल बनाने का फ़न का नाम है राजेश रेड्डी। इनका जन्म 22 जुलाई, 1952 में नागपुर, राजस्थान, भारत में हुआ. रेड्डी जी हिंदी साहित्य परास्नातक है.
Rajesh Reddy Shayari

शाम को जिस वक़्त
ख़ाली हाथ घर जाता हूँ मैं
मुस्कुरा देते हैं बच्चे
और मर जाता हूँ मैं
राजेश रेड्डी
किसी दिन ज़िंदगानी में
करिश्मा क्यूँ नहीं होता
मैं हर दिन जाग तो जाता हूँ
ज़िंदा क्यूँ नहीं होता
राजेश रेड्डी
Rajesh Reddy Shayari 2 Line

कुछ परिंदों को तो बस दो चार दाने चाहिए
कुछ को लेकिन आसमानों के ख़ज़ाने चाहिए
राजेश रेड्डी
कुछ इस तरह गुज़ारा है ज़िंदगी को हम ने
जैसे कि ख़ुद पे कोई एहसान कर लिया है
राजेश रेड्डी
हंस रहा था वो पर आँसू भी नज़र आ रहे थे
धूप भी फैली थी जुगनू भी नज़र आ रहे थे
राजेश रेड्डी
मिरी इक ज़िंदगी के कितने हिस्से-दार हैं लेकिन
किसी की ज़िंदगी में मेरा हिस्सा क्यूँ नहीं होता
राजेश रेड्डी
Rajesh Reddy Ghazal
गीता हूँ कुरआन हूँ मैं
मुझको पढ़ इंसान हूँ मैं
ज़िन्दा हूँ सच बोल के भी
देख के ख़ुद हैरान हूँ मैं
इतनी मुश्किल दुनिया में
क्यूँ इतना आसान हूँ मैं
चेहरों के इस जंगल में
खोई हुई पहचान हूँ मैं
खूब हूँ वाकिफ़ दुनिया से
बस खुद से अनजान हूँ मैं
– राजेश रेड्डी
ख़ज़ाना कौन सा उस पार होगा
वहाँ भी रेत का अंबार होगा
ये सारे शहर में दहशत-सी क्यों हैं
यक़ीनन कल कोई त्योहार होगा
बदल जाएगी इस बच्चे की दुनिया
जब इसके सामने अख़बार होगा
उसे नाकामियाँ ख़ुद ढूँढ लेंगी
यहाँ जो साहिबे-किरदार होगा
समझ जाते हैं दरिया के मुसाफ़िर
जहाँ में हूँ वहाँ मँझधार होगा
वो निकला है फिर इक उम्मीद लेकर
वो फिर इक दर्द से दो-चार होगा
ज़माने को बदलने का इरादा
तू अब भी मान ले बेकार होगा
राजेश रेड्डी
राजेश रेड्डी शायरी

कल शब महफ़िल में चुप रह कर
कैसा रंग जमाया हमने
ख़ाली हाथ गए मेले में
देख के जी बहलाया हमने
शब = रात
राजेश रेड्डी
मंज़र-ए-आम पर नहीं आते
घर के दुख बाम पर नहीं आते
ग़म बुलाते तो हैं मगर आँसू
इन दिनों काम पर नहीं आते
राजेश रेड्डी
Rajesh Reddy Shayari Status
काँधा कोई नहीं है कि सर जिसपे रख सकें
सारा-का-सारा बोझ हमारा हमीं पे है
राजेश रेड्डी
मैं रोशनी था मुझे फैलते ही जाना था
वो बुझ गए जो समझते रहे चिराग़ मुझे
राजेश रेड्डी
ज़िंदगी तो मैं जी चुका या रब !
अब कोई और काम हो तो बता
राजेश रेड्डी
धोखा है इक फ़रेब है मंज़िल का हर ख़याल
सच पूछिए तो सारा सफ़र वापसी का है
राजेश रेड्डी
पेड़ पर शाम से फिर मातम है
आज फिर एक परिंदा कम है
राजेश रेड्डी
सच पूछिए तो इश्क़ किसी और के नहीं
अपने ही इंतज़ार में रहने की बात है
राजेश रेड्डी
राजेश रेड्डी गजल
जो आईने में है उसकी तरफ़दारी भी करनी है
मगर जो हममें है उससे हमें यारी भी करनी है
ज़माने भर में ज़ाहिर अपनी खुद्दारी भी करनी है
मगर दरबार में जाने की तैयारी भी करनी है
है मोहलत चार दिन की और हैं सौ काम करने को
हमें जीना भी है मरने की तैयारी भी करनी है
राजेश रेड्डी
बरी होना है अब मुश्किल हमारा
गवाही दे रहा है दिल हमारा
न रुक पाया हमारी ख़ुदकुशी तक
बहुत उजलत में था क़ातिल हमारा
जब अपने-आप में डूबे तो जाना
हमीं में था कहीं साह़िल हमारा
हमें रहने भी दे अपने सफ़र में
न रस्ता रोक ऐ मंज़िल ! हमारा
राजेश रेड्डी
राजेश रेड्डी की दिल छू लेने वाली लाइन
सबकी नज़रें हैं आसमानों पर
सबकी मंज़िल ज़मीं के नीचे है
राजेश रेड्डी
जैसे ग़लत पते पे चला आए कोई शख़्स
सुख ऐसे मेरे दर पे रुका और गुज़र गया
राजेश रेड्डी
ग़म छिपाने के सौ तरीक़ों में
मुस्कुराना ही सबसे मुश्किल है
राजेश रेड्डी
मैं जिस ह़ैरत से मंज़र देखता हूँ
मुझे ह़ैरत से मंज़र देखते हैं
राजेश रेड्डी
जिंदगी तो कभी नहीं आई
मौत आई ज़रा-ज़रा करके
राजेश रेड्डी
उम्र बड़ी होती है रोने वालों की
गीली लकड़ी जलते-जलते जलती है
राजेश रेड्डी
रोज़ इरादों में ज़रा रद्द-ओ-बदल करते हुए
उम्र गुज़री है यूँ ही आज को कल करते हुए
राजेश रेड्डी
जहाँ मैं हूँ वहाँ से मेरी दूरी
ज़मीं से आसमाँ जितनी तो होगी
राजेश रेड्डी
आप औरों के किसी काम नहीं आ सकते
अच्छा होना भी यहाँ कितना बुरा होता है
राजेश रेड्डी
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