होली पर कविता | Holi Poem in Hindi

Holi Poem Kavita Poetry Image Photo in Hindi – इस आर्टिकल में होली पर कविता दी गई है. इस होली दिलों के नफरतों को मिटा दे और दुश्मनों के गाल पर प्रेम का गुलाल लगा दें.

Holi Poem in Hindi

होली पर यह एक बाल कविता है जिसका शीर्षक “हाथी दादा की होली” है और इसके लेखक प्रकाश मनु जी है.

जंगल में भी मस्ती लाया
होली का त्योहार,
हाथी दादा लेकर आए
थोड़ा रंग उधार।

रंग घोल पानी में बोले-
वाह, हुई यह बात,
पिचकारी की जगह सूँड़ तो
अपनी है सौगात!

भरी बालटी लिए झूमते
जंगल आए घूम,
जिस-जिस पर बौछार पड़ी
वह उठा खुशी से झूम!

झूम-झूमकर सबने ऐसे
प्यारे गाने गाए,
दादा बोले-ऐसी होली
तो हर दिन ही आए!
प्रकाश मनु


Holi Poetry in Hindi

आतंक के प्रहार से सहमती है धरा भोली
प्रेम के गुलाल से आओ खेलें आज होली।

घट रही हैं आस्थाएँ
क्षीण होतीं कामनाएँ
आज धरती के नयन से
बह रहीं हैं वेदनाएँ
खो गई हँसी – ठिठोली कैसे खेलें आज होली।

स्नेह का अबीर हो
सदभाव की फुहार हो
धूप अनुराग की
फागुनी बयार हो
हो राग -रंग की रंगोली ऐसी खेलें आज होली।

गांधी आएँ, गौतम आएँ
ईसा और मोहम्मद आएँ
साधु-सन्त देव आएँ
प्रेम की गाथा सुनाएँ
विश्वास से भरी हो झोली मिलजुल खेलें आज होली।

न कोई घर वीरान हो
न संहार के निशान हों
न माँग सूनी हो कोई
अनाथ न सन्तान हो
दिशा- दिशा हो रंग-रोली ऐसी खेलें आज होली।
शशि पाधा


होली पर कविता

सतरंगी बौछारें लेकर
इंद्रधनुष की धारें लेकर,
मस्ती की हमजोली आई
रंग जमाती होली आई!

पिचकारी हो या गुब्बारा
सबसे छूट रहा फव्वारा,
आसमान में चित्र खींचती
कैसी आज रंगोली आई!

टेसू और गुलाल लगाए
मस्त-मलंगों के दल आए,
नई तरंगों पर लहराती
उनके साथ ठिठोली आई!

महका-महका-सा फागुन है
चहकी-चहकी-सी हर धुन है,
कहीं काफियाँ, कहीं ठुमरियाँ
कहीं प्रीत की डोली आई!

चंग, मृदंग बजे बस्ती में
झूम उठे बच्चे मस्ती में,
ताल-ताल पर ठुमका देती
धूल उड़ाती टोली आई!
रंग जमाती होली आई!
योगेन्द्र दत्त शर्मा


Holi Par Kavita

तुम अपने रँग में रँग लो तो होली है।
देखी मैंने बहुत दिनों तक
दुनिया की रंगीनी,
किंतु रही कोरी की कोरी
मेरी चादर झीनी,
तन के तार छूए बहुतों ने
मन का तार न भीगा,
तुम अपने रँग में रँग लो तो होली है।
अंबर ने ओढ़ी है तन पर
चादर नीली-नीली,
हरित धरित्री के आँगन में
सरसों पीली-पीली,
सिंदूरी मंजरियों से है
अंबा शीश सजाए,
रोलीमय संध्या ऊषा की चोली है।
तुम अपने रँग में रँग लो तो होली है।
हरिवंशराय बच्चन


Poem on Holi in Hindi

होली आई होली आई
हर चेहरे पर मस्ती छाई

कहीं चंग पर गीत सुरीले
झूमें कहीं जवान सजीले,
सजधज कर के ठुमक-ठुमक
महरी बनकर नाचे भाई
होली आई होली आई

बनकर राधा-कृष्ण कन्हाई
रास रचाते लोग-लुगाई,
रामू और कुलविंदर के संग
भंगड़ा करता असगर भाई
होली आई होली आई।
ढमक-ढमक ढोलक बोली
आओ मिलकर खेलें होली,
रंग-अबीर गुलाल मले सब
पिचकारी ने धूम मचाई
होली आई होली आई।
शिवराज भारतीय


जीवन के रंग होली के संग पर कविता

प्राची गुझिया बना रही है,
दादी पूड़ी बेल रही है ।
कभी-कभी पिचकारी लेकर,
रंगों से वह खेल रही है ।।

तलने की आशा में आतुर
गुझियों की है लगी कतार ।
घर-घर में खुशियाँ उतरी हैं,
होली का आया त्यौहार ।।

मम्मी जी दे दो खाने को,
गुझिया-मठरी का उपहार ।
सजता प्राची के नयनों में,
मिष्ठानों का मधु-संसार ।।

सजे-धजे हैं बहुत शान से
मीठे-मीठे शक्करपारे ।
कोई पीला, कोई गुलाबी,
आँखों को ये लगते प्यारे ।।

होली का अवकाश पड़ गया,
दही-बड़े कल बन जाएँगे ।
चटकारे ले-लेकर इनको,
बड़े मज़े से हम खायेंगे ।।
रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’


होली पर साहित्यिक कविता

पीला नीला कि लाल होली में
बरसे रंगे-जमाल होली में।

रंगने को तेरे गाल होली में
भेज देंगे गुलाल होली में।

राधा के पीछे पीछे डोले है
पूरे दिन नंदलाल होली में।

रंग उसको लगा के मानूँगा
आन का है सवाल होली में।

रात दिन सुब्हो-शाम आता है
आपका ही ख़याल होली में।

हो गया जो भी यार होना था
अब न कर तू मलाल होली में।

आज मौक़ा है फिर मिले न मिले
उसको भी रंग डाल होली में।

मन न जाये मचल किसी गुल पे
खुद को ‘अम्बर’ संभाल होली में।
अभिषेक कुमार अम्बर


फाग पर कविता | Holi Kavita

रंगों का त्यौंहार जब आए
टाबर टोल़ी के मन भाए।

नीला पीला लाल गुलाबी
रंग आपस में खूब रचाए।

रंग की भर मारें पिचकारी
‘होली है’ का शोर मचाए।

सूरत सबकी एक-सी लगती
इक दूजा पहचान न पाए।

बुरा न माने इस दिन कोई
सारा ही रंग में रच जाए।।
दीनदयाल शर्मा


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