अजीब हाल में पहुँच गयी है जिन्दगी,
अब ना कोई अजनबी रहा, न कोई अपना…
रोई आँखों में भी इन्तजार होता हैं,
न चाहते हुए भी प्यार होता हैं,
क्यों देखते है हम वो सपने
जिनके टूटने पर भी उनके
सच होने का इन्तजार रहता हैं.
दिल होते जो
मेरे सीने में दो,
दूसरा दिल भी मैं
तुम्हे देती तोड़ने को.
फिर से मिलने का वादा तो उनके मुँह से निकल ही गया,
जब हमने जगह पूछी तो कहने लगे ख़्वाबों में आते थे…आते रहेंगे.
चेहरे पर उदासी और आँखे नम क्यों हैं,
तुझे कभी पाया ही नही,
तो खोने का गम क्या हैं.
आज हम उनको बेवफा बताकर आयें हैं,
उनके खतों को पानी में बहाकर आयें हैं,
कोई निकाल न ले उन्हें पानी से,
इसलिए पानी में भी आग लगा कर आये हैं.
मौसम को मौसम की बहारों ने लूटा,
हमे कश्ती ने नहीं किनारों ने लूटा
आप तो डर गये मेरी एक ही कसम से,
आपकी कसम देकर हमें तो हजारों ने लूटा.
वहाँ से बिगड़ी है जिन्दगी मेरी,
जहाँ से साथ तुमने छोड़ा था…
अगर साथ होते वो तो जरूरत होती,
अपने अकेले के लिए मैं कायनात क्या माँगू…
तुझे भूलने की कोशिश में
थोड़ा दिल दुखता हैं,
इस दिल को तो हम देख ले
मगर तू इसमें बसता हैं.