Chhath Puja in Hindi ( छठ पूजा ) – छठ एक हिन्दू पर्व है जिसे पूर्वी भारत – बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल के तराई छेत्रो में मुख्यतः बड़े धूम-धाम से मनाया जाता हैं. ऐसे तो इस पर्व को मुख्य रूप से हिन्दू ही मनाते हैं लेकिन इस्लाम धर्म से सम्बंधित लोगो को भी इसे मनाते हुए देखा गया हैं. अब यह त्यौहार पूरे भारत में मनाया जाता हैं.
छठ पर्व (Chhath Parv) या छठ (Chhath), षष्ठी का अपभ्रंश रूप हैं. इस पर्व को दिवाली के ठीक 6 दिन बाद मनाया जाता हैं. यह चार दिवसीय व्रत की सबसे कठिन और मुख्य रात्रि कार्तिक शुक्ल षष्ठी होती हैं. यह त्यौहार कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाता हैं इसलिए इसका नाम छठ पर्व ( Chhath Parv ) या छठ व्रत ( Chhath Vrat ) पड़ा.
छठ पूजा से लाभ | Chhath Puja Se Laabh
यह ऐसा पूजा विधान है जिसे वैज्ञानिक दृष्टि से बहुत लाभकारी माना जाता हैं और इसे करने से सारी मनोकामना पूर्ण होती हैं. जो स्त्रियाँ इस व्रत को करती हैं उन्हें धन-धान्य, पति-पुत्र तथा सुख-समृद्धि बढती हैं और जीवन सुखमय होता हैं. सामान्यतः इस व्रत को महिलाएँ पुत्र प्राप्ति, पुत्र की लम्बी आयु और पुत्र कल्याण के लिए किया जाता हैं. इस व्रत को पुरुष भी रखते हैं जिससे उनके कार्य सफल हो.
छठ पूजा कब हैं? | When is Chhath Puja?
छठ पूजा 2024 में 05 नवम्बर 2024 – 08 नवंबर, 2024 तक मनाया जाएगा.
छठ का पहला दिन – ‘नहाय खाय’
इस त्यौहार का पहला दिन ‘नहाय खाय’ के रूप में मनाया जाता हैं. पूजा में चढ़ावे के लिए समान तैयार किया जाता हैं इसमें विभिन्न प्रकार के फल, केले की पूरी गौर (गवद) और ठकुआ, नारियल, मूली, सुथनी, अखरोट, बादाम, नारियल, लाल पीले रंग का कपडा, घड़ा जिसपर 12 दीपक लगे हो और गन्ने के बाढ़ पेड़ आदि शामिल किया जाता हैं. पहले दिन महिलाएँ नहाकर चने की दाल, लौकी और चावल को भोजन के रूप में ग्रहण करती हैं. घर के सभी सदस्य व्रत करने वाले सदस्य को भोजन करने के बाद ही भोजन करते हैं.
छठ का दूसरा दिन – ‘लोहंडा और खरना’
छठ पर्व के दुसरे दिन भी दिनभर व्रत रखने के बाद शाम को भोजन किया जाता हैं, इसे ‘खरना’ कहा जाता हैं. शाम को गन्ने के रस की बखीर (यह भी खीर की तरह होता हैं) बनाकर देव्करी में 5 जगह कोशा (मिटटी के बर्तन) में रखकर उसी से हवन किया जाता हैं. प्रसाद के रूप में गन्ने के रस से बना हुआ बखीर, चावल का पिठ्ठा और घी चुपड़ी रोटी बनाई जाती हैं. इस दौरान पूरे धर की स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाता हैं.
छठ का तीसरा दिन – संध्या अर्घ्य
छठ पर्व के तीसरे दिन (कार्तिक शुक्ल षष्ठी) 24 घंटे का निर्जल व्रत रखा जाता हैं, सारे दिन पूजा की तैयारी की जाती हैं और पूजा सामग्री को बांस की टोकरी में रखा जाता हैं. घर का कोई पुरूष सदस्य, पूजा सामग्री की टोकरी को अपने सिर पर रख लेता हैं और उसके साथ व्रती और घर के अन्य सदस्य नदी या तालाब की ओर चल देते हैं. नदी या तालाब के पास सामूहिक रूप से इकठ्ठा होकर सूर्य पूजा या अर्घ्य दान सम्पन्न करते हैं. भगवान् सूर्य को दूध और जल का अर्घ्य दिया जाता हैं तथा छठी मैया की प्रसाद से भरे सूप से पूजा की जाते है. यहाँ का दृश्य मेले के सामान लगता हैं.
छठ का चौथा दिन – उषा अर्घ्य
चौथे दिन (कार्तिक शुक्ल सप्तमी) को सुबह भगवान् सूर्य को अर्घ्य दिया जाता हैं. व्रत करने वाले पुनः वही इकठ्ठा होते हैं जहाँ उन्होंने पूर्व संध्या को सूर्य अर्घ्य दिया था. इस बार भी उसी प्रकिया से सूर्य पूजा की जाते हैं. सभी व्रती और घर के सदस्य घर वापस आते हैं और कच्चे दूध का शरबत , प्रसाद खाकर व्रत पूर्ण करते हैं.
छठ से सम्बंधित कथाएँ
छठ पूजा में विशेष रूप से सूर्य को अर्घ्य दिया जाता हैं और विधि विधान से सूर्य की पूजा की जाती हैं जिसका साक्ष्य पौराणिक कथाओं में भी मिलता हैं.
छठ पूजा से ‘रामायण’ कथा का सम्बन्ध
ऐसा माना जाता हैं कि रावण को मारकर, लंका विजय के बाद प्रजा के हित के लिए रामराज्य की स्थापना की गई, उसके बाद कार्तिक शुक्ल षष्ठी को भगवान राम और माँ सीता ने उपवास किया और भगवान सूर्य की आराधना की. सप्तमी को पुनः सूर्य पूजाकर सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त किये.
छठ पूजा से ‘महाभारत’ का सम्बन्ध
महाभारत में एक कथा के अनुसार कुंती सूर्य की पूजा करती है उन्हें एक वीर पुत्र की प्राप्ति होती हैं इसलिए छठ पूजा और सूर्य पूजा को पुत्र प्राप्ति की दृष्टि से भी किया जाता हैं.
महाभारत की एक दूसरी कथा के अनुसार सबसे पहले सूर्य की पूजा सूर्यपुत्र कर्ण ने की थी, कर्ण भगवान् सूर्य का बहुत बड़ा भक्त था. सूर्यदेव की कृपा से ही वे महान योद्धा बने थे. कर्ण प्रति दिन कमर तक पानी में खड़े होकर भगवान् सूर्य को अर्घ्य देता था और तत्पश्चात अपनी यथा शक्ति दान भी करता था. आज भी छठ पूजा में अर्घ्य दान की इसी पद्धति से पूजा-अर्चना की जाती हैं.
छठ पूजा बेस्ट विशेस | Chhath Puja Best Wishes
छठ क आज हैं पावन त्यौहार
सूरज की लाली, माँ का हैं उपवास
जल्दी से आओ अब करो न विचार
छठ पूजा का खाने तुम प्रसाद
छठ पूजा की हार्दिक शुभकामनाएँ
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