Casteism Shayari Status Quotes Image Photo in Hindi – इस आर्टिकल में जातिवाद पर शायरी स्टेटस कोट्स इमेज आदि दिए हुए है।
Casteism Shayari in Hindi
नाम के आगे से जात को हटाना है,
रूढ़िवादी बेड़ियों को तोड़कर दिखाना है,
जहाँ इंसान अपने कर्म से जाना जाएँ
मुझे ऐसे भविष्य के भारत को बनाना है।
जातिवाद का जहर खत्म कर
प्यार दुनिया को तुम सिखा दो,
तुम ही भारत के भविष्य हो
तुम अपने हुनर को दिखा दो।
जातिवाद के तराजू में रखकर
मत तोलो मेरा भारत देश,
हमारे हृदय में सिर्फ भारतीयता है
भले भिन्न है भाषा, भिन्न है भेष।
Casteism Status in Hindi
जातिवाद के चक्कर में पड़ोगे तो मलाल होगा,
अगर शिक्षित बनोगे तभी तो कमाल होगा।
जातिवाद के नफरत में खुद को जलाओ मत,
जिंदगी में मौका अगर मिला है तो उसे गँवाओं मत।
जातिवाद एक ऐसा जहर है
जो पूरे समाज को विषैला बना देता है।
Casteism Quotes in Hindi
इस देश में लोकतंत्र के
सबसे प्रबल शत्रु जातिवाद
और छुआछूत ही हैं।
जयप्रकाश नारायण
अगर जातिवाद एक पहाड़ है
तो हम भी दशरथ मांझी हैं,
याद रहे, जब तक तोड़ेंगे नहीं
तब तक छोड़ेंगे नहीं।
जातिवाद पर शायरी
जातिवाद का जहर घोल दिया
इंसानों ने इंसानों की परिपाटी में,
एक दिन सभी को मर कर
मिल जाना है इस माटी में।
ऊँचे जात में जन्म ले लिया
तो खुद को खुदा मत समझो,
हमारे दिल में आज उसकी मोहब्बत है
वो दूर है मुझसे जुदा मत समझो।
जातिवाद के जहर को
शिक्षा ही खत्म कर पायेगा,
सरकारें अच्छी शिक्षा देंगी
तभी गरीब आगे बढ़ पायेगा।
जातिवाद पर दोहे | Jativad Par Dohe
जनम जात मत पूछिए, का जात अरु पात।
रैदास पूत सब प्रभु के, कोए नहिं जात कुजात।।
संत रैदास
कबीरा कुआं एक है, पानी भरैं अनेक।
बर्तन में ही भेद है, पानी सबमें एक।।
संत कबीरदास
जात पांत के फेर मंहि, उरझि रहइ सब लोग।
मानुषता कूं खात हइ, रैदास जात कर रोग।।
संत रैदास
Caste Quotes in Hindi
मैंने गुण और कर्म के अनुसार ही
जाति संस्था की स्थापना की है।
भगवान श्रीकृष्ण
जन्म से नहीं बल्कि कर्म से ही
मनुष्य शूद्र या ब्राह्मण होता है।
भगवान बुद्ध
जातिवाद आत्मा और राष्ट्र दोनों के
विकास के लिए नुकसानदेह है।
महात्मा गाँधी
Jativad Par Shayari
भुलाकर जात-पात का भाव
सभी को बराबर सम्मान दो,
हम सभी ईश्वर के संतान हैं
ऐसा संस्कृति को वरदान दो।
जातिवाद का नफरत
दुनिया में कब तक बाटेंगे,
इसकी जड़ पर वार करके
इसको अब तो काटेंगे।
कोई माथे पर तिलक और सिर पर चोटी धारण किए हुए हैं क्योंकि उसे गर्व है कि वह ब्राह्मण है। कोई सिर पर पगड़ी और कमर में कटारी खोंसे हुए हैं क्योंकि उसे सिक्ख होने पर गर्व है। कोई सिर पर गोल टोपी लगाए हुए हैं क्योंकि उसे मुसलमान होने पर फख्र है। ये अलग पहचानें आदमी को आदमी नहीं रहने देतीं। ये आदमी को हिन्दू, सिक्ख या मुसलमान बना देती हैं। एक बार आदमी को बाँटने का सिलसिला शुरू हो जाए तो फिर यह कहीं नहीं रूकता। हिन्दुओं में असंख्य जातियाँ हैं – वैश्य हैं, जैन हैं, पंजाबी हैं, जाट हैं, त्यागी हैं, गूजर हैं, अहीर हैं, राजपूत हैं। इससे भी आगे धोबी हैं, सुनार हैं, चमार हैं, कुम्हार हैं, जमादार हैं, भाट हैं, जुलाहे हैं। कितने कितने विभाजन हैं।
मनुष्य जाति को बाँटने वाले सभी विभाजन मनुष्यता के लिए विष का काम करते हैं। हिन्दू-मुसलमान के झगड़े पिछले एक हजार साल से चले आ रहे हैं। अभी न जाने कितने हजारों साल और चलेंगे। किसी को रामजन्मभूमि ध्वस्त करने का बदला लेना है। किसी को औरंगजेब और बाबर का वंशज होने गर्व जतलाना हैं। इसी आधार पर भारत के तीन टुकड़े हुए। पकिस्तान इसी जातीय घृणा के विष से उपजा। उसी विष का फल आज भी पूरा भारत भुगत रहा है। कश्मीर से लेकर मुंबई तक, दिल्ली से लेकर असम तक बम-विस्फोटों में जातीयता का विष ही फैला हुआ है। कभी सिक्खों और निरंकारियों में झगड़े शुरू हो जाते हैं। इस सबके मूल में यही अहंकार है – मैं बाबा का सच्चा शिष्य हूँ। तुम ढोंगी हो। हम पक्के शेख मुसलमान हैं, तुम मुजाहिर हो।
जातीयता का विष रोकने का सच्चा उपाय है – स्वयं को ‘आदमी’ समझना – “श्रेष्ठ आदमी” न समझना। ‘आर्य’ होने का अहंकार, ‘पाक’, ‘सच्चा’, ‘पवित्र’, ‘सर्वोच्च’ होने का अहंकार ही विष पैदा करता है। जिस दिन मानव-मानव की एकता का भाव हमारी रगों में समा जाएगा, उसी दिन जातीयता का विष समाप्त होगा।
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