थोड़ा मैं, थोड़ा तुम और थोड़ी सी मोहब्बत..
बस इतना काफ़ी हैं, जीने के लिए..
सुनो साहब जो शिकायत नही करते,
दर्द उन्हें भी होता हैं.
अगर नींद आये तो सो भी लिया करो,
रातों को जागने से मोहब्बत लौटा नही करती.
दिल के जख्म है साहब दिखते नही तो
इसका मतलब ये नही कि दुखते नही
मालूम हैं कि ये ख्वाब झूठे हैं और ख्वाहिशें अधूरी हैं,
मगर जिन्दा रहने के लिए कुछ ग़लतफहमियाँ जरूरी हैं.
बात मुकद्दर पर आकर रुकी है वरना..
कोई कसर तो न छोड़ी थी तुझे चाहने में!