What is the Swastika Yantr in Hindi ( Symbol of Prosperity ) – स्वास्तिक का चिन्ह ( Swastik Symbol ) किसी धर्म अथवा देश-विशेष का चिन्ह नहीं हैं. यह सभी धर्मों और प्राणी मात्र के लिए पूज्यनीय है, क्योंकि इस्मने समस्त मानव जाति के कल्याण की भावना छिपी हैं. श्री गणेश पुराण में कहा गया है स्वास्तिक श्री गणेश का स्वरूप है. अस्तु मांगलिक कार्यों में इसकी स्थापना अनिवार्य हैं.
शास्त्रानुसार स्वास्तिक की चार मुख्य भुजाएं, चार दिशाओं, चार युगों, चार वर्णों, चार आश्रम , चार मनुष्य के धर्म की प्रतीक भी मानी जाती हैं. ऋग्वेद के अनुसार स्वास्तिक सूर्य का, आचार्य यास्क के अनुसार स्वास्तिक ब्रह्मा हैं. धन का चिन्ह ( + ) होने के कारण लक्ष्मी का भी प्रतीक हैं.
स्वास्तिक क्यों बनाते हैं? | Svastik Kyon Banaate Hain?
दुर्भाग्य से अगर आपके व्यापारिक प्रतिष्ठानों में उन्नति नहीं हो रही हो, आपके निवास पर निरंतर एक के पश्चात एक तनावपूर्ण स्थिति बन रही हो, परिवार पर ऋण अथवा रोग का बोझ बढ़ रहा हो या एक के पश्चात् एक बाधाएं अशांत कर रही हों अथवा वातावरण कलहपूर्ण हो, इन सभी समस्याओं का निराकरण है ‘स्वास्तिक’. इसका दूसरा नाम विनायक यंत्र ( Vinaayak Yantr ) भी हैं. इसमें विष्णु, शिव, देवी तथा सूर्य के साथ गणेश का भी वास हैं.
स्वास्तिक यंत्र किस धातु का बनाना चाहिए? | Svastik Yantr Kis Dhaatu Ka Banaana Chaahie
यंत्र का निर्माण गुरू पुष्य नक्षत्र योग में किया जाना उत्तम है. यंत्र का निर्माण सोने-चांदी अथवा तामपत्र पर किया जा सकता हैं. किन्तु ताम्रपत्र देव धातु होने से उत्तम रहता हैं.
स्वस्तिक यंत्र की स्थापना | Svastik Yantr Ki Sthaapna
प्रयोगकर्ता को शुभ मुहूर्त में पूजादि कार्य करके यंत्र को वस्त्र में रखकर गंगा जल के छींटे लगाकर धूप, दीप-नैवेद्य आदि से पूजा करके प्रार्थना करें. इसके पश्चात मुख्य द्वार पर यंत्र को स्थापित करें. चौखट के बाहर अथवा भीतर सुविधा के अनुसार स्थापित करें. इस यंत्र के दर्शन करने मात्र से विघ्न, शत्रु, बाधा नष्ट होकर कार्य में सफ़लता तथा परिवार को आरोग्य प्राप्त होता हैं.
नोट – इस पोस्ट में दिए कंटेंट “पं. शशिमोहन बहल” की किताब “हमारे धार्मिक रीति-रिवाज” से लिए हुए हैं.