पृथ्वी पर कोईं ऐसा व्यक्ति नही होगा जिसको पहले प्रयास में सफलता मिल गयी हो. हर कोई असफल होता है या कह सकते है कि असफलता का कड़वा घूँट पीता है लेकिन सफलता का स्वाद तभी चखता है जब असफलता से कुछ ना कुछ सीखता है ऐसा नहीं की आप असफल हो गए तो आप के किये गए सारे प्रयास गलत हो उसमे तो कुछ ही गलत होते है जिसके कारण परिणाम गलत आता है, आप सफल तभी होंगे जब असफलता के समय लिए गए सारे निर्णयों पर विचार करेंगें और यह ढूँढ़ निकालेंगें की गलत निर्णय कौन सा था और उस पर पुनः विचार कर सही करने का प्रयास करेंगे.
यह सच है कि असफलता के तुरंत बाद खुद पर विश्वास करना मुश्किल हो जाता है लेकिन यह भी याद रखें कि हार आप को परिभाषित नहीं करती है तो फिर ऐसी हार को गले लगाकर रोने से क्या फायदा जो हमे एक पहचान तक नहीं दिला सकता.
हारना बिलकुल भी बुरा नहीं है, भला यह कैसे हो सकता है की असफलता हमारी कमियों की निशानी है, हार हमे दूसरों के नज़रों में गिरा देती है, असफलता हमारे आत्मविश्वास को कमजोर कर देती है, ये सब इस असफलता के वजह से जो हो रहा है तो फिर क्यों ना खुद को हर पल याद दिलाते है कि हारना बुरा नहीं है अपितु हार कर बैठ जाना बुरा है आप को यहाँ बस यह सोचना है कि आप ने प्रयास किया बस सफलता से कुछ ही कदम दूर रह गए यही प्रयास तो हमें सफलता के मंज़िल तक ले जाती है.
असफलता हमारी पहचान नहीं
जब सभी उगते सूरज को सलाम करते है तो हम क्यों असफलता के अंधकार से खुद को घेरे हुए हैं यह जानते हुए की हमारा अतीत और भविष्य इस हार पर नहीं टिका है बल्कि लक्ष्य के दिशा में किये जा रहे प्रयास पर तो फिर काम टालने के बजाये उसे करने का विकल्प क्यों नहीं चुन रहे है इसमें सर्वप्रथम आप को अपने गलतियों से सीखने की ज़रूरत है जिससे आप के आत्मविश्वास में कमी ना आ जाये और आप के मन में नकारात्मकता घर कर जाए.
हार सफलता की गारण्टी है
इस बात को नकारा नहीं जा सकता कि हार सफलता की गारण्टी है, लेकिन यह तब सत्य है जब काम के प्रति ईमानदारी प्रतिबद्धता, लगन, प्रयास और ज़िद बनी रहे. असफलता आप को बस लक्ष्य के प्रति आप को सचेत करती है ना की इस बात की गारण्टी देती है कि आप अगली बार में सफल होगे. आप की जीत इस बात पर निर्भर करता है कि आप ने पिछली गलती से कितनी सीख ली और लक्ष्य के दिशा में कितनी जतन से प्रयासरत हैं.
दूसरों से तुलना बंद कीजिये
हमारी सबसे बड़ी कमजोरी होती है कि हम अपने सफलता या असफलता को दूसरे से तुलना करने लगते हैं जिसके कारण नकरात्मकता घर कर लेती है, हम यह सोचने लगते है कि उसने पहले प्रयास में ही सफलता हासिल कर लिया या बिना ज्यादा प्रयास के ही सफलता हासिल कर लिए जो सरासर गलत है इस तरह के विचार हमें नकरात्मक दिशा में सोचने के लिए बाध्य करता है तो ऐसे तुलनात्मक विचार क्यों पालें जो हमारे लक्ष्य के लिए हानिकारक होता है.
व्यर्थ की बातों को असफलता से ना जोड़ें
हमारी सबसे बड़ी कमी की हम अपनी छोटी बड़ी बातों को असफलता से जोड़ने लगते हैं. जैसे-थकना,हताशा, ठगा हुआ, दुविधा, कड़वाहट आदि शब्द नकारात्मक होते हैं और इन शब्दों के बारे में विचार करना हमारे लक्ष्य के प्राप्ति की दिशा में हानिकारक होता है, तो फिर ऐसे शब्दों के बारे में विचार से क्या फायदा तो ऐसे नकरात्मक शब्दों को हमेशा के लिए बाय कहें.