हाँ थोड़ा थक गया हूँ दूर निकलना छोड दिया,
पर ऐसा नही की मैंने चलना छोड़ दिया,
फासले अक्सर रिश्तो में दूरी बढ़ा देते है,
पर ये नही की मैंने दोस्तों से मिलना छोड दिया,
हां जरा अकेला हूँ दुनिया की भीड मे,
पर ऐसा नही है कि मैंने दोस्ताना छोड दिया,
याद तुम्हें करता हूं दोस्तों और परवाह भी,
बस कितनी करता हूं ये बताना छोड़ दिया.
झाँक रहे है इधर उधर सब।
अपने अंदर झांकें कौन?
ढ़ूंढ़ रहे दुनियाँ में कमियां।
अपने मन में ताके कौन?
सबके भीतर दर्द छुपा है।
उसको अब ललकारे कौन?
दुनियाँ सुधरे सब चिल्लाते।
खुद को आज सुधारे कौन?
पर उपदेश कुशल बहुतेरे।
खुद पर आज विचारे कौन?
हम सुधरें तो जग सुधरेगा
यह सीधी बात उतारे कौन?
मिला वो भी नही करते,
मिला हम भी नही करते.
दगा वो भी नही करते,
दगा हम भी नही करते.
उन्हे रुसवाई का दुख,
हमे तन्हाई का डर
गिला वो भी नही करते,
शिकवा हम भी नही करते.
किसी मोड़ पर मुलाकात हो जाती है अक्सर
रुका वो भी नही करते,
ठहरा हम भी नही करते.
जब भी देखते हैं उन्हे,
सोचते है कुछ कहें उनसे.
सुना वो भी नही करते,
कहा हम भी नही करते.
लेकिन ये भी सच है,
की मोहब्बत उन्हे भी हे हमसे
इकरार वो भी नही करते,
इज़हार हम भी नही करते.
उलझनों और कश्मकश में उम्मीद की ढाल लिए बैठा हूँ..
ए जिंदगी! तेरी हर चाल के लिए मैं दो चाल लिए बैठा हूँ .
लुत्फ़ उठा रहा हूँ मैं भी आँख – मिचौली का ..
मिलेगी कामयाबी हौसला कमाल लिए बैठा हूँ .
चल मान लिया दो-चार दिन नहीं मेरे मुताबिक
गिरेबान में अपने ये सुनहरा साल लिए बैठा हूँ.
ये गहराइयां, ये लहरें, ये तूफां, तुम्हें मुबारक ..
मुझे क्या फ़िक्र मैं कश्तियां और दोस्त बेमिसाल लिए बैठा हूँ..