Nida Fazli Biography and Shayari in hindi – निदा फ़ाज़ली Hindi और Urdu के मशहूर शायर थे जिनका निधन 08 फरवरी 2016 को मुंबई में हो गया. इनकी रचनाएँ, लोकप्रिय गीत, काव्य संग्रह, शायरी, गलज आदि आज भी हमारे दिलों के बहुत क़रीब हैं. इस पोस्ट में Nida Fazli की जीवनी और उनके बेहतरीन शायरी से सम्बंधित बहुत ही खूबसूरत लेख हैं.
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नही मिलता,
कहीं ज़मीन कहीं आसमां नहीं मिलता.
निदा फ़ाज़ली की जीवनी हिंदी में | Nida Fazli Biography in Hindi
बचपन का नाम – मुक़्तदा हसन
मशहूर नाम – निदा फ़ाज़ली
जन्म – 12 अक्टूबर, 1938
जन्म स्थान – दिल्ली
मृत्यु – 08 फरवरी, 2016
पिता – मुर्तुज़ा हसन
माता – जमील फ़ातिमा
बेटी – तहरीर
भाषा – हिंदी, उर्दू
राष्ट्रीयता – भारतीय
निदा फ़ाज़ली ने अपना बचपन ग्वालिर में गुजारा और वही पर इन्हें शिक्षा भी मिली. इन्होने 1958 में ग्वालियर कॉलेज (विक्टोरिया कॉलेज या लक्ष्मीबाई कॉलेज) से स्नातकोत्तर पढ़ाई पूरी की. इनके पिता भी एक शायर थे.
Nida Fazli को लेखन का शौक था इसलिए छोटी-सी उम्र में ही लिखने लगे थे. “निदा फ़ाज़ली” इनके लेखन का नाम हैं. “निदा” का अर्थ ‘स्वर/ आवाज़/ Voice/’ हैं. “फ़ाज़िला” क़श्मीर के एक इलाके का नाम है जहाँ से निदा के पुरखे आकर दिल्ली में बस गए थे इसलिए उन्होंने अपने उपनाम में फ़ाजली जोड़ रखा था.
निदा फ़ाज़ली करियर | Nida Fazli Career
निदा फ़ाज़ली कमाई की तलाश में कई शहरों में भटके और बाद में मुंबई आ पहुँचे. यहाँ पर उन्होंने कुछ पत्र-पत्रिकाओं के लिए लेखन कार्य शुरू कर दिया और उनकी सरल और प्रभावशाली लेखनशैली ने शीघ्र ही उन्हें सम्मान और लोकप्रियता दिलाई. निदा फ़ाज़ली की पहली उर्दू कविता 1969 में छपा.
फ़िल्म प्रोड्यूसर-निर्देशक-लेखक कमाल अमरोही उन दिनों फ़िल्म रज़िया सुल्ताना बना रहे थे जिसके अभिनेता और अभिनेत्री क्रमशः धर्मेन्द्र और हेमा मालिनी थी. इस फ़िल्म की गीत को जाँनिसार अख़्तर लिख रहे थे जिनका अकस्मात निधन हो गया. जाँनिसार अख़्तर ग्वालियर से ही थे और निदा फ़ाजली के लेखन के बारे में जानकारी रखते थे जो उन्होंने शत-प्रतिशत शुद्ध उर्दू बोलने वाले कमाल अमरोही को बताया हुआ था. तब कमाल अमरोही ने उनसे संपर्क किया और उन्हें फ़िल्म के वो शेष रहे दो गाने लिखने को कहा जो कि निदा फ़ाजली ने लिखे और इस प्रकार उन्होंने फ़िल्मी गीत लेखन प्रारम्भ किया और उसके बाद इन्होने कई हिन्दी फिल्मों के लिये गाने लिखे.
एक बार जब “निदा फ़ाजली” पाकिस्तान गए तो एक मुशायरे के बाद कट्टरपंथी मुल्लाओं ने उनका घेराव कर लिया और उनके लिखे शेर कुछ इस प्रकार थे.
घर से मस्जिद है बड़ी दूर, चलो ये कर लें,
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाएं.
निदा फ़ाज़ली की बेहतरीन शायरी | Nida Fazli Shayari
बच्चा बोला देख कर मस्जिद आली-शान
अल्लाह तेरे एक को इतना बड़ा मकान.
नक़्शा ले कर हाथ में बच्चा है हैरान
कैसे दीमक खा गई उस का हिन्दोस्तान
घर को खोजें रात दिन घर से निकले पाँव
वो रस्ता ही खो गया जिस रस्ते था गाँव
मुझ जैसा इक आदमी मेरा ही हमनाम
उल्टा सीधा वो चले मुझे करे बद-नाम
सब की पूजा एक सी अलग अलग हर रीत
मस्जिद जाए मौलवी कोयल गाए गीत
वो सूफ़ी का क़ौल हो या पंडित का ज्ञान
जितनी बीते आप पर उतना ही सच मान
मैं रोया परदेस में भीगा माँ का प्यार
दुख ने दुख से बात की बिन चिट्ठी बिन तार
नैनों में था रास्ता हृदय में था गाँव
हुई न पूरी यात्रा छलनी हो गए पाँव
मैं भी तू भी यात्री चलती रुकती रेल
अपने अपने गाँव तक सब का सब से मेल
उस जैसा तो दूसरा मिलना था दुश्वार
लेकिन उस की खोज में फैल गया संसार
पुरस्कार और सम्मान
- 1998 – साहित्य अकादमी पुरस्कार ( Sahitya Akademi Award ) “खोया हुआ सा कुछ (कविता संग्रह)” के लिए.
- 2003 – स्टार स्क्रीन पुरस्कार ( Star Screen Award ) – श्रेष्टतम गीतकार – फ़िल्म ‘सुर के लिए
- 2003 – बॉलीवुड मूवी पुरस्कार – श्रेष्टतम गीतकार – फ़िल्म सुर के गीत ‘आ भी जा’ के लिए
- 2013 – पद्मश्री