इल्ज़ाम शायरी | Ilzaam Shayari

Ilzam Shayari in Hindi – इस पोस्ट में बेहतरीन इल्ज़ाम शायरी ( Ilzaam Shayari ) दी हुई हैं. इस पोस्ट को जरूर पढ़े और फेसबुक और व्हाट्सऐप पर शेयर करें.

बेस्ट इल्ज़ाम शायरी | Best Ilzaam Shayari

दुनिया को हकीकत का मेरे पता कुछ भी नहीं,
इल्जाम हजारों हैं और खता कुछ भी नही.


दिल पे आये हुए इल्ज़ाम से पहचानते हैं,
लोग अब मुझको तेरे नाम से पहचानते हैं.


हर इल्जाम का हकदार वो हमे बना जाते है,
हर खता कि सजा वो हमे सुना जाते है,
हम हरबार खामोश रह जाते है,
क्योकी वो अपना होने का हक जता जाते है.


कमाल का शख्स था जिसने जिन्दगी तबाह कर दी,
राज की बात है दिल उससे खफ़ा अब भी नहीं.


कौन करता हैं यहाँ प्यार निभाने के लिए,
दिल तो बस एक खिलौना हैं जमाने के लिए.


मोहब्बत तो दिल से की थी, दिमाग उसने लगा लिया,
दिल तोड़ दिया मेरा उसने और इल्जाम मुझपर लगा दिया.


तू कहीं भी रहे, सिर तुम्हारे इल्ज़ाम तो हैं,
तुम्हारे हाथों के लकीरों में मेरा नाम तो हैं.


जानकर भी वो हमें जान ना पाए,
आज तक वो हमें पहचान ना पाए,
खुद ही कर ली बेवफ़ाई हम ने उनसे
ताकि उन पर बेवफ़ाई का कोई इल्ज़ाम ना आए.


हमारे हर सवाल का सिर्फ़ एक ही जवाब आया,
पैगाम जो पहुँचा हम तक बेवफ़ा इल्जाम आया.


मुझे हसरत ही नहीं मोहब्बत को पाने की,
अब तो चाहत हैं मोहब्बत को भूल जाने की.


बेवफ़ा तो वो ख़ुद हैं, पर इल्ज़ाम किसी और को देते हैं,
पहले नाम था मेरा उनके लबों पर, अब वो नाम किसी और का लेते हैं.


इल्ज़ाम लगा देने से बात सच्ची नही हो जाती,
दिल पे क्या बीतती हैं किसी से कही नही जाती.


मेरी तबाही का इल्ज़ाम अब शराब पर हैं,
मैं और करता भी क्या तुम पे आ रही थी बात.


करता हूँ तुमसे मोहब्बत मरने पर इल्जाम होगा,
कफ़न उठा के देखना होठों पर तेरा नाम होगा.


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