हुनर शायरी | Hunar Shayari

कभी इस हुनर को भी आजमा कर देखना,
दिल में हजारों गम हो फिर भी मुस्कुरा कर देखना.


जिनके आँगन में अमीरी का शज़र लगता है,
उन का हर ऐब भी जमाने को हुनर लगता हैं.
अंजुम रहबर


मुझमें हुनर कुछ ख़ास नहीं,
सादगी के सिवा कुछ मेरे पास नहीं.


जुल्म के सरे हुनर हम पर यूँ आजमाए गये,
जुल्म भी सहा हमने, और जालिम भी कहलाये गये.
2 Line Hunar Shayari


बचपन में याद करने का हुनर, जवानी में भूलने का हुनर,
सीखते-सीखते ना जाने कब बुढ़ापा आ गया.


इश्क में आसान है तो भुला दो,
हो सके तो ये हुनर मुझे भी सिखा दो.


लगता है मैं भूल चुका हूँ मुस्कुराने का हुनर,
कोशिश जब भी करता हूँ आँसू निकल आते हैं.


होठों ने सारी बातें छुपा कर रखी,
आँखों को यह हुनर कभी आया ही नहीं.


दिल में मुहब्बत, आँखों में इन्तजार का हुनर दे कर चला गया,
चाहा था दिलों जान से जिस शख्स को नजाने किधर चला गया.


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