फ़र्क तो अपनी अपनी सोच में हैं जनाब,
वरना दोस्ती भी मोहब्बत से कम नही होती.
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मुलाकात जरूरी हैं , अगर रिश्ते निभाने हो,
वरना लगा कर भूल जाने से पौधे भी सूख जाते हैं.
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ऐ दर्द कुछ तो डिस्काउंट दे,
मैं तेरा रोज का ग्राहक हूँ.
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इतनी ठोकरे देने के लिए शुक्रिया – “ए-ज़िन्दगी”
चलने का न सही, सम्भलने का हुनर तो आ गया
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हर आदमी अपनी ज़िन्दगी में हीरो होता हैं,
बस कुछ लोगो की फिल्मे रिलीज नही होती.
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कभी ना कहो कि “दिन” अपने ख़राब हैं,
समझ लो की हम काँटो से घिरे हुए गुलाब हैं.
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