Bauddha Dharma | बौद्ध धर्मं

Bauddha Dharma History in Hindi – बौद्ध धर्म भगवान गौतमबुद्ध के विचारों पर ही बना हैं. सत्य और अहिंसा का मार्ग दिखाने वाले भगवान बुद्ध को दिव्य आध्यात्मिक विभूतियों में अग्रणी माना जाता हैं. भगवान बुद्ध के सिद्धांतों को मानने वाले पूरे विश्व में करोंड़ों लोग हैं.

बौद्ध धर्म के 4 सम्प्रदाय हैं.

  1. हीनयान या थेरवाद (बुद्ध के सिद्धांतों को मानने वाले)
  2. महायान (बुद्ध के सिद्धांतों को मानने वाले)
  3. वज्रयान (बुद्ध के सिद्धांतों को मानने वाले)
  4. नवयान या भीमयान (डॉ॰ भीमराव आंबेडकर के सिद्धांतो को मानने वाले)

नवयान या भीमयान को छोड़कर बाकी सब बुद्ध का सिद्धांत मानते हैं. बौद्ध धर्म विश्व का चौथा सबसे बड़ा धर्म हैं. आज चीन, जापान, वियतनाम, थाईलैण्ड, म्यान्मार, भूटान, श्रीलंका, कम्बोडिया, मंगोलिया, तिब्बत, लाओस, हांगकांग, ताइवान, मकाउ, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया एवं उत्तर कोरिया समेत कुल 18 देशों में बौद्ध धर्म ‘प्रमुख धर्म’ है.

Gautam Buddha Short Biography in Hindi | गौतम बुद्ध की संक्षिप्त जीवनी हिंदी में

भगवान बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व में लुंबिनी, नेपाल में हुआ था. अपनी युवा अवस्था में जब वो नगर भ्रमण पर निकले तो उन्हें वृद्ध, रोग पीड़ित और मृत व्यक्ति मिले. वृद्ध कहारता हुआ धीरे-धीरे अपने लाठी के सहारे चल रहा था, रोगी व्यक्ति दुःख से कराह रहा था उसके आस पास के लोग भी दुखी थे, मृत व्यक्ति के आस-पास बैठे लोग अपनी छाती पीट-पीट कर रो रहे थे. इन दृश्यों को देखने के बाद उनका हृदय परिवर्तन हुआ और उन्होंने अपना महल छोड़कर ज्ञान की प्राप्ति के लिए निकल पड़े. ज्ञान प्राप्ति होने पर लोगो को उपदेश देने लगे और उनके सिद्धांत और विचार आगे चलकर बौद्ध धर्म का रूप ले लिया.

नाम – सिद्धार्थ या गौतम बुद्ध या भगवान बुद्ध
जन्म – 563 ईसा पूर्व
जन्म स्थान – लुंबिनी, नेपाल
निर्वाण – 483 ईसा पूर्व
निर्वाण स्थान – कुशीनगर, भारत
पिता – शुद्धोदन
माता – मायादेवी
पत्नी – यशोधरा
पुत्र – राहुल

गौतम बुद्ध का पूरा जीवन वृत्तांत

Buddha’s teachings | बुद्ध की शिक्षाएँ

भगवान बुद्ध के निर्वाण के बाद, बौद्ध धर्म के अलग-अलग सम्प्रदाय उपस्थित हो गया, पर इन धर्मो के अधिक्तर सिद्धांत भगवान बुद्ध के सिद्धांतो से ही मिलते जुलते हैं.

भगवान बुद्ध ने अपने अनुयायियों को चार प्रकार की शिक्षाएं प्रदान की –

  1. आर्यसत्य
  2. अष्टांगिक मार्ग
  3. दस पारमिता
  4. पंचशील

चार आर्यसत्य

  1. दुःख – इस संसार में दुःख ही दुःख हैं. जन्म में, वृद्ध होने में, बीमार होने में, प्रियतम से दूर होने में, चाहत को पूरा न कर पाने में, नापसंद चीजो के साथ में, सब में दुःख हैं.
  2. दुःख कारण – तृष्णा या चाहत, दुःख का मुख्य कारण है और इसलिए बार-बार जन्म लेना पड़ता हैं.
  3. दुःख निरोध – तृष्णा या चाहत से मुक्ति मिल सकती हैं.
  4. दुःख निरोध का मार्ग – तृष्णा से मुक्ति अष्टांगिक मार्ग के अनुसार जीने से मिल सकती हैं.

अष्टांगिक मार्ग

बौद्ध धर्म के अनुसार, दुःख से झुटकारा पाने का मार्ग अष्टांगिक मार्ग का अनुसरण करना चाहिए.

  1. सम्यक दृष्टि – चार आर्य सत्य में विश्वास करना.
  2. सम्यक संकल्प – मानसिक और नैतिक विकास की प्रतिज्ञा करना.
  3. सम्यक वाक – हानिकारक बातें और झूट न बोलना
  4. सम्यक कर्म : हानिकारक कर्मों को न करना.
  5. सम्यक जीविका : कोई भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से हानिकारक व्यापार न करना.
  6. सम्यक प्रयास : अपने आप सुधरने की कोशिश करना.
  7. सम्यक स्मृति : स्पष्ट ज्ञान से देखने की मानसिक योग्यता पाने की कोशिश करना.
  8. सम्यक समाधि : निर्वाण पाना और स्वयं का गायब होना.

पारमिता

बौद्ध धर्म में “परिपूर्णता” या परम की स्थिति को पालि में पारमिता या पारमी कहा गया हैं. इन गुणों का विकास पवित्रता की प्राप्ति, कर्म को पवित्र करने आदि की लिए की जाती हैं ताकि साधक पूरी उम्र ज्ञान प्राप्ति कर सके.

महायान ग्रन्थों में छः पारमिता की गणना मिलती है

  1. दान पारमिता
  2. शील पारमिता
  3. क्षान्ति पारमिता
  4. वीर्य पारमिता
  5. ध्यान पारमिता
  6. प्रज्ञा पारमिता

दशभूमिकासूत्र में ये चार पारमिता हैं.

7. उपाय पारमिता
8. प्राणिधान पारमिता
9. बल पारमिता
10. ज्ञान पारमिता

नोट – ऊपर के छः परिमिता और चार परिमिता दोनों मिलाकर दस परिमिता हुए.

दस पारमिता : थेरवाद ग्रन्थों में दस पारमिता वर्णित हैं

  1. दान पारमी
  2. शील पारमी
  3. नेक्खम्मा (त्याग) पारमी
  4. पण्ण पारमी
  5. वीरिय पारमी
  6. खान्ति पारमी
  7. सच्च पारमी
  8. अधित्थान पारमी
  9. मेत्ता पारमी
  10. उपेक्खा पारमी

पंचशील

भगवान बुद्ध ने अपने अनुयायिओं को पंचशील का पालन करने की शिक्षा भी दी हैं.

  1. अहिंसा – मैं प्राणि-हिंसा से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ.
  2. अस्तेय – मैं चोरी से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ.
  3. अपरिग्रह – मैं व्यभिचार से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ.
  4. सत्य – मैं झूठ बोलने से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ.
  5. सभी नशा से विरत -मैं पक्की शराब (सुरा) कच्ची शराब (मेरय), नशीली चीजों के सेवन से विरत रहने की शिक्षा ग्रहण करता हूँ.

बौद्ध धर्म के प्रमुख तीर्थ

लुम्बिनी – जहां भगवान बुद्ध का जन्म हुआ.
बोधगया – जहां बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त हुआ.
सारनाथ – जहां से बुद्ध ने दिव्यज्ञान देना प्रारंभ किया.
कुशीनगर – जहां बुद्ध का महापरिनिर्वाण हुआ.
दीक्षाभूमि, नागपुर – जहां भारत में बौद्ध धर्म का पुनरूत्थान हुआ.

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