असम का पूर्वोत्तर क्षेत्र आज भी बहुत पिछड़ा हैं. इन पिछड़े इलाको में भूपेन हजारिका / ढोला-सदिया ब्रिज (Bhupen Hazarika / Dhola–Sadiya Bridge) जितना मजबूत कोई दूसरा पुल नही हैं. यह पुल इन पिछड़े क्षेत्रो में विकास का एक नया युग लेकर आएगा. यहाँ के व्यवसाय में तेजी आएगी और यहाँ पर संभावित व्यवसाय की असीम सम्भावना हैं.
इस ढोला-सदिया पुल के कारण लोगो का काफी समय बचेगा और लोगो को बहुत सारे लाभ मिलेंगे.
भूपेन हजारिका / ढोला-सदिया ब्रिज के 10 बड़ी बाते
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- इस ब्रिज के शुरुआत 2011 में हुई थी और इसका उद्घाटन 26 मई 2017 को भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के द्वारा हुआ.
- भूपेन हजारिका / ढोला-सदिया ब्रिज (Bhupen Hazarika / Dhola–Sadiya Bridge) भारत का सबसे लम्बा ब्रिज हैं. इसकी लम्बाई 9.15 किलोमीटर हैं.
- इस ब्रिज की सबसे बड़ी खासियत यह हैं कि इस ब्रिज के ऊपर से 60 टन के लड़ाकू टैंक बड़ी आसानी से ले जा सकते हैं.
- इस ब्रिज का एक छोर अरुणाचल प्रदेश के “ढोला” कस्बे में और दूसरा छोर असम के तिनसुकिया ज़िले के “सदिया” क़स्बे में है. इसलिए इस ब्रिज का नाम ढोला-सदिया ब्रिज हैं.
- भूपेन हजारिका / ढोला-सदिया ब्रिज लोहित नदी को पार करता है, जो ब्रह्मपुत्र नदी की एक मुख्य उपनदी है.
- इससे पहले अरुणांचल जाने में 8 घंटे का समय लगता था जोकि अब 4 घंटे में तय किया जा सकता हैं.
- इस ब्रिज को बनाने में लगभग 1000 करोड़ लगे.
- बेमौसम बरसात के कारण इस प्रोजेक्ट पर पूरे साल में केवल 4-5 महीने ही ठीक से काम हो पाता था.
- ब्रिज को इस तरह डिजाईन किया गया हैं कि इस पर गाड़िया 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से चल सके.
- सुरक्षा के दृष्टकोण से, इस ब्रिज की महत्ता और बढ़ जाती हैं. चीन के सीमा से सटे इस ब्रिज के कारण, युद्ध के दिनों में इसकी मदद से तेज़ी से सैन्य और सैन्य सामानों की आवाजाही हो सकेगी.