महाशिवरात्रि हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्यौहार हैं. इस त्यौहार में श्रद्धालु पूरी रात जागकर भगवान शिव की आराधना में भजन गाते हैं. कुछ लोग पूरे दिन और रात उपवास भी करते हैं. शिव लिंग को जल और बेलपत्र चढाने के बाद ही वे अपना उपवास तोड़ते हैं.
महिलाओं के लिए शिवरात्रि का विशेष महत्व हैं. अविवाहित महिलाएं प्रभु शिव जी से प्रार्थना करती हैं कि उन्हें उनके जैसा ही पति मिले. वही विवाहित महिलाएं अपने पति और परिवार के लिए मंगल कामना करती हैं. शिवरात्रि के साथ कई पौराणिक कथाए जुडी हुई हैं. शिरात्रि के प्रारंभ और इसके महत्व को जानने के लिए हमे इन पौराणिक कथाओं को जानना होगा.
महाशिवरात्रि पर्व मनाने के कारण
महाशिवरात्रि पर्व मनाने के कारण नीचे विस्तार पूर्वक दिए गये हैं.
समुद्र मंथन की पौराणिक कथा
सभी पौराणिक कथाओ में नीलकंठ की कहानी सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हैं. ऐसी मान्यता हैं कि महाशिवरात्रि के दिन ही समुद्र मंथन के दौरान कालकेतु जहर (विष) निकला था जिसे भगवान शिव ने सम्पूर्ण ब्राह्मांड के सुरक्षा के लिए सारा जहर पी लिया था. इससे उनका गला नीला पड़ गया और उन्हेंनीलकंठ के नाम से जाना गया.
भगवान शिव जी का प्रिय दिन
एक मान्यता यह भी हैं कि फाल्गुन माह के 14वां दिन भगवान शिव का प्रिय दिन हैं इसलिए महाशिवरात्रि को इसी दिन मनाया जाता हैं.
भगवान शिव और माँ पार्वती का विवाह
पुराणों के अनुसार महाशिवरात्रि ही वह दिन हैं, जब भगवान शिव ने पार्वती जी से विवाह किया था.
महिलाओ के लिए महत्व
ऐसा माना जाता हैं कि जब कोई महिला भगवान शिव से प्रार्थना करती हैं तो भगवान शिव उनकी प्रार्थना को आसानी से स्वीकार कर लेते हैं. भगवान शिव की पूजा में किसी विशेष सामग्री की जरूरत नही पड़ती हैं. सिर्फ पानी और बेलपत्र के जरिये भी भक्त भगवान शिव को प्रसन्न कर सकते हैं. यही वजह हैं कि महाशिवरात्रि का महिलाओँ के लिए विशेष महत्व होता हैं. ऐसा माना जाता हैं कि यदि कोई अविवाहित महिला महाशिवरात्रि के दिन उपवास करती हैं तो उन्हें भगवान शिव जैसा ही पति मिलता हैं.
शिवरात्रि का महत्व
ऐसा माना जाता हैं कि महाशिवरात्रि पर भगवान मानवजाति के काफी निकट आ जाते हैं. मध्यरात्रि के समय ईश्वर मनुष्य के सबसे ज्यादा निकट होते हैं. यही कारण है कि लोग शिवरात्रि के दिन रातभर जागते हैं.