ना जाने क्यों इश्क़ नीदें चुरा लेती हैं,
जिसे भूलना चाहों वो याद बहुत आती हैं.
दो कदम का फासला उम्र भर तय ना हो पाया,
वक्त के कगार पर खड़ा रिश्ता कभी जुड़ ना पाया.
यादें अच्छी हो तो मुस्कुराहट लाती हैं,
और यादें बुरी हो तो आँखें नम कर जाती हैं.
फेरों ना निगाहें हम चले जायेंगे,
लेकिन याद रखना हम बहुत याद आयेंगे.
तुझे याद कर लूँ तो मिल जाता हैं सुकून दिल को,
मेरे गमों का इलाज भी कितना सस्ता हैं.
लफ़्ज, अल्फ़ाज, कागज़ और किताब,
कहाँ कहाँ नही रखता मैं तेरी यादों का हिसाब.
याद करते हैं कसमें खाते हैं,
फिर क्यूँ साथ छोड़ जाते हैं.
जाने क्यूँ बारिश जब भी होती हैं,
मेरे अंदर तेरी याद छुप-छुप कर रोती हैं.
तेरी यादों का आज फिर दिल में उठा हैं बवंडर,
वही सर्दी वही मौसम वही दिल कश दिसम्बर.
ना शिकवा किसी का
ना फ़रियाद किसी की,
एहसास मिटा और मिटी उम्मीदें,
सब मिटा पर ना मिटी याद किसी की.