Navratri Poem Poetry Kavita in Hindi – इस आर्टिकल में नवरात्रि पर कविता दी गई है. नवरात्रि में व्रत रहकर माँ दुर्गा की पूजा अर्चना करने से जीवन के सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और हृदय में शांति का वास होता है.
नवरात्रि में जब माँ दुर्गा की पूजा करें और उनका व्रत रहे. तब यह भी प्रण ले कि स्वयं के शत्रु लोभ, क्रोध, काम, ईर्ष्या, नफरत आदि को माँ शक्ति के चरणों में समर्पित कर दूँगा। कम से कम नौ दिन खुद पर नियंत्रण रखे फिर देखे आपको कितना सुख, शांति और सुकून का अनुभव होता है.
Navratri Poem in Hindi
हृदय में बसती है माँ भक्ति तुम्हारी,
हृदय में बसती है माँ शक्ति तुम्हारी,
आ जाओ माँ दुर्गा करके सिंह सवारी
हर अड़चन दूर करो माँ संकट हारी।
माँ सदैव भक्तो पर कृपा बरसाती रहे,
सदमार्ग पर माँ हमे हरदम चलाती रहे,
घोर अन्धकार में माँ उजाला दिखाती रहे
माँ दुर्गा हमें मुसीबत से लड़ना सिखाती रहे.
माँ शेरोवाली का भक्त बनूँ ऐसा वरदान मिले,
माँ का आशीर्वाद और माँ का प्यार मिले,
हर दिन जाना चाहूँ माँ के दरबार में
माँ दुर्गा के दर्शन का अवसर बार-बार मिले।
नवरात्रि पोएम इन हिंदी
आ गया नवरात्र माँ की भक्ति का त्यौहार ।
सज रहा है माँ भवानी का सुघर दरबार।।
रक्त वसना आभरण युत खुले कुंचित केश
सिंह पर शोभित सुकोमल शक्ति का आगार।।
उड़ रही है धूप फूलों की सुगंध सुवास
ला रहा उपहार कोई फूल कोई हार।।
ठनकता तबला सरंगी और बजता ढोल
कर रहे हैं भजन के स्वर भक्ति का संचार।।
दुर्व्यवस्था देश की है दुखी सारे लोग
नाव जर्जर भँवर में है माँ करो उद्धार।।
दुर्विचारों दुष्प्रचारों ने किया आघात
जगद्धात्री जगत जननी अब करो संहार।।
कर रहा सिंदूर अर्पण मात्र कोई धूप
पास मेरे सिर्फ श्रद्धा करो अंगीकार।।
रंजना वर्मा
नवरात्रि पर कविता
हृदय हर्षित मन गर्वित
नई ऊर्जा का संचार हुआ,
आओ मिलकर माँ की पूजा करें
नवरात्रि का आगाज हुआ
मधुर कलरव माँ के गीतों का
चारों तरफ संचार हुआ,
हृदय माँ की भक्ति में डूबा
हर घर में माँ दुर्गा का सत्कार हुआ
भक्ति की ध्वनियाँ ऐसे गूँजी
जिससे एक बड़ा त्योहार हुआ
माँ अपने बच्चे का सारा दुःख हर ली
नवरात्रि में ऐसा चमत्कार हुआ.
Navratri Par Kavita
हाथ गंदे जब हुए हमने क्षण में धो लिया
मन जो मैला हो रहा उसका अब करू मैं क्या?
बुद्धि दे ओ मेरी माँ, विनती और करू मैं क्या?
अंबे तुझसे करें दुआ ! हे जगदम्बे करो दया !
सुख के दिन जब रहे हमने खुल के जी लिया
दुःख के बादल छा रहे उसका अब करू मैं क्या?
भक्ति दे ओ मेरी माँ विनती और करू मैं क्या?
अंबे तुझसे करें दुआ ! हे जगदम्बे करो दया !
सूर्य उदित जब तक रहा ऊँचा मस्तक रहा
जो अँधेरा छा रहा उसका अब करू मैं क्या?
शक्ति दे ओ मेरी माँ विनती और करू मैं क्या?
अंबे तुझसे करें दुआ ! हे जगदम्बे करो दया !
अमिताभ झा
माँ दुर्गा पर कविता
हे माँ दुर्गा दो हमे वरदान,
जन-जन का हो कल्याण।
जिसने भक्तो को उबारा है,
जिसने दुष्टों को मारा है,
जो इस जग में सबसे प्यारा है,
अब माँ अम्बे का ही सहारा है.
हे माँ शक्ति दो हमे वरदान,
जन-जन का हो कल्याण।
माँ के भक्ति गीत गाएंगे,
माता के चरणों में शीश झुकायेंगे,
बच्चों के दुःख माँ ही हरती है
माँ दुर्गा की कृपा से बिगड़े काम बनाएंगे।
हे माँ शेरोवाली दो हमे वरदान,
जन-जन का हो कल्याण।
इस जग में हर कोई
दुःख का सताया है,
लालच, मोह और सुख की
चाह हृदय से नहीं निकाल पाया है,
जीवन भर ठोकर खाने
के बाद यह समझ में आया है,
उसका जीवन ही व्यर्थ है
जिसने माँ की भक्ति का धन नहीं पाया है.
हे माँ दुर्गा दो हमे वरदान,
जन-जन का हो कल्याण।
वेद प्रकाश ‘वेदांत’
Navratri Poetry in Hindi
घर-घर घटस्थापना देख, मां अंबे हो रही हर्षित
नौ दिन,नव रूप लिए, दुर्गा होती शोभित
सजे गए मंदिर देवी के, लगे नए पंडाल
हवन, कीर्तन, रामायण, सजे पूजा के थाल
जिस घर ज्योति जले माता की, रोशन हो गए जीवन
अन्न,धन,मां की कृपा से बरसे,बरसे ममता का सावन
नव दुर्गा के दरस की खातिर,कर रहे बड़े आयोजन
मनुज की ओछी सोच देख, मां का भी अकुलाया मन
क्यूं स्वार्थ में हो कर अंधा तू, कर रहा है घोर पाप
बेटे की झूठी आस लिए, क्यूं बेटी बनी अभिशाप
नारी भी मेरा ही स्वरूप, मूरत की करते पूजा
उसकी गर तुम करो कदर, घर स्वर्ग बने समूचा
कन्या, कंजक, नारी, दुर्गा, सहनशील धरा सी
बोझ बढ़े धरती पर जो, फट प्रलय दिखाए वो भी
उसको न अपमानित कर, देवी को दुर्गा रहने दो
असुरों का संहार करे, दुर्गा “काली” बन जाए तो
कर सम्मान, दे दूं वरदान, हो जाऊं गर प्रसन्न
मान बढ़े तेरा भी निस दिन, सुख, समृद्धि,बसे कण-कण.
Poem on Navratri in Hindi
अश्रुधार भरी आंखों से, किस विधि दर्शन पाऊं माँ,
मन मेरे संताप भरा है, मैं कैसे मुस्काऊं माँ।
कदम-कदम पर भरे हैं कांटे, ऊंची-नीची खाई है,
दुःखों की बेड़ी पड़ी पांव में, किस विधि चलकर आऊं माँ।
सुख और दुःख के भंवरजाल में, फंसी हुई है मेरी नैया,
कभी डूबती, कभी उबरती, आज नहीं है कोई खिवैया।
छूट गई पतवार हाथ से, किस विधि पार लगाऊं माँ,
अश्रुधार भरी आंखों से, किस विधि दर्शन पाऊं माँ।
पाप-पुण्य के फेर में फंसा हूं, मैंने सुध-बुध खोई माँ,
अंदर बैठी मेरी आत्मा, फूट-फूटकर रोई माँ।
बोल भी अब तो फंसे गले में, आरती किस विधि गाऊं माँ,
अश्रुधार भरी आंखों से, किस विधि दर्शन पाऊं माँ।
पाप-पुण्य में भेद बता दे, धर्म-कर्म का ज्ञान दे,
मेरे अंदर तू बैठी है, इतना मुझको भान दे।
फिर से मुझमें शक्ति भर दे, फिर से मुझमें जान दे,
नवजात शिशु-सा गोद में खेलूं, फिर बालक बन जाऊं माँ।
तू ही बता दे, किन शब्दों में, तुझको आज मनाऊं माँ,
अश्रुधार भरी आंखों से, किस विधि दर्शन पाऊं माँ।
माँ दुर्गा की सदा ही जय हो
नवरात्री माँ दुर्गा की पूजा और अर्चना का त्यौहार होता है. इसमें बहुत से लोग व्रत रहते है. लोग विभिन्न तरीकों से माँ की भक्ति करते है. इससे हमारे हृदय अध्यात्म पैदा होता है जो हमारे जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है. आजकल युवा सबसे ज्यादा नकारात्मक सोचते है जिसका उनके जीवन पर बड़ा ही व्यापक असर पड़ता है. नकारात्मक सोच जीवन को नर्क बना देता है. इसलिए सच बोले और सच का सामना करें। खुद को आध्यात्मिक रखे ताकि जीवन की चुनौतियों का डंटकर सामना कर सके.
माँ दुर्गा को शक्ति का रूप माना जाता है. अगर आप माँ दुर्गा के सच्चे भक्त है तो अपने असल जीवन में भी औरतों का सम्मान करें। अध्यात्म को हम जबतक अपने वास्तविक जीवन से नहीं जोड़ेंगे तब तक हमें पूजा, अर्चना और व्रत का लाभ समझ में नहीं आएगा। ईश्वर की पूजा और भक्ति के साथ-साथ हमें अपने कर्म पर भी ध्यान देना होगा। क्योंकि इन्हीं से हमारे जीवन का निर्माण होगा।
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