लोग कहते हैं कि तू अब भी खफ़ा हैं मुझ से,
तेरी आँखों ने तो कुछ और कहा हैं मुझ से.
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हम तुम में कल दूरी भी हो सकती हैं,
वजह कोई मजबूरी भी हो सकती हैं.
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मेरी ही बात सुनती हैं मुझी से बात करती हैं,
कहाँ तन्हाई घर की अब किसी से बात करती हैं.
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दिल के हाथों कहीं दुनिया में गुजारा न रहा,
हम किसी के न रहे, कोई हमारा न रहा.
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हम कभी ख़ुद से कोई बात नही कर पाते,
ज़िन्दगी तुझसे मुलाकात नही कर पाते.
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आप क्यूँ रहते हैं मुझ जैसे गुनहगार के साथ,
कौन सा रिश्ता हैं गिरती हई दीवार के साथ.
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दुनिया दारी तो क्या आती दामन सीना सीख लिया,
मरने के थे लाख बहाने फिर भी जीना सीख लिया.
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