खामोश चेहरे पर हजारों पहरे होते हैं,
हँसती आँखों में भी जख्म गहरें होते हैं,
जिनसे अक्सर रूठ जाते है हम
असल में उनसे ही रिश्ते ज्यादा गहरे होते हैं…
अक्सर हम जिन्दगी में अपने बहुमूल्य रिश्तों
को अपने झूठे अभिमान के आग में जला कर
नष्ट कर देते हैं…
मुलाकातें जरूरी हैं,
अगर रिश्ते निभाने हैं,
वरना लगाकर भूल जाने से,
तो पौधे भी सूख जाते हैं…
एक मैं हूँ कि समझ नही सका खुद को आज तक !!!
और एक ये दुनिया वाले हैं जो न जाने क्या क्या समझ लेते हैं.
बदला हुआ वक़्त है, ज़ालिम ज़माना है..
यहां मतलबी रिश्ते है, फिर भी निभाना है..!