दिल से बने जो रिश्ते उनका नाम नही होता,
इनका कभी भी निरर्थक अंजाम नही होता,
अगर निभाने का जज्बा दोनों तरफ से हो,
तो ये पाक रिश्ता कभी बदनाम नही होता…
किसी भी रिश्ते की सिलाई,
अगर भावनाओं से हुई हैं तो टूटना मुश्किल हैं
और अगर स्वार्थ से हुई हैं तो टिकना मुश्किल हैं…
रिश्ते और विश्वास दोनों मित्र हैं…
रिश्ते रखो या ना रखो पर
पर विश्वास ज़रूर बनाये रखना…
क्योकि जहाँ विश्वास होता हैं
वहाँ रिश्ते अपने आप बन जाते हैं…
कुछ खास रिश्ते कुछ खास समय में परखे जाते हैं…
औलाद – बुढ़ापे में
दोस्त – मुसीबत में
पत्नी – ग़रीबी में
रिश्तेदार – जरूरत में
कोई टूटे तो उसे सजाना सीखो,
कोई रूठे तो उसे मनाना सीखो,
रिश्ते तो मिलते हैं मुकद्दर से,
बस उन्हें ख़ूबसूरती से निभाना सीखो…
सारी जिन्दगी रखा हैं,
रिश्तों का भ्रम…
लेकिन सच पूछो तो
कोई भी अपने सिवा
अपना नही होता…
झुकने से रिश्ता गहरा हो,
तो झुक जाओ,
पर हर बार आपको ही झुकना पड़े,
तो रूक जाओ…
तुझे तो मिल गये होंगे,
कई नये साथी लेकिन
मुझे आज भी हर मोड़ पर
तेरी कमी महसूस होती हैं.