बाल श्रम पर कविता | Labour Child Poems in Hindi

Poem on Child Labour in Hindi – बाल-श्रम का मतलब ऐसे कार्य से है जिसमे की कार्य करने वाला व्यक्ति कानून द्वारा निर्धारित आयु सीमा से छोटा होता है. यह अनुचित या शोषित माना जाता है यदि निश्चित उम्र से कम में कोई बच्चा घर के काम या स्कूल के काम को छोड़कर कोई अन्य काम करता है. किसी भी नियोक्ता को एक निश्चित आयु से कम के बच्चे को किराए पर रखने की अनुमति नहीं है. न्यूनतम आयु देश पर निर्भर करता किसी प्रतिष्ठान में बिना माता पिता की सहमति के न्यूनतम उम्र १६ वर्ष निर्धारित किया है.

Labour Child Poem 1 | लेबर चाइल्ड पोएम 1

जहाँ दुनिया मेरे लिए बस घर से स्कूल का रास्ता था !!
वहीं एक बच्चा स्कूल जाने को बेहद तरसता था !!!

जब अपने खिलौने तोड़ मैं नए खिलौने की जिद किया करता था !!
वही एक बच्चा अपना परिवार चलाने के लिए मिटटी के खिलौने बनाया करता था !!!

जहाँ अपने छोटे-छोटे कामों के लिए मैं माँ पर निर्भर था !!
वहीं एक बच्चा दिन भर काम कर थक कर रात भर रोता था !!!

मैदान के खेल जहाँ हमें थकाते थे !!
उन बच्चों को उनके मालिक न जाने कितना भगाते थे !!!

आज प्रण लेता हूँ मैं बाल-मजदूरी के खिलाफ़ उठाऊंगा अपनी आवाज !!
और कुछ ऐसा कर दिखाऊंगा कि खुद ईश्वर को भी हो मुझ पर नाज !!!

Labour Child Poem 2 | लेबर चाइल्ड पोएम 2

बालपन की किलकारी भूख के ताप से हुआ मूक,
पोथी छोड़ कुदाल खोदते हाथ का मार अचूक !!
कीचड़, धूप, आँधी में श्रम करना हुआ मजबूरी,
गरीबी की पराकाष्ठा, पेट और पीठ की घटती दूरी !!

कुछ धनहीनता और कुछ माता-पिता की मूर्खता,
किन्तु सबसे ज्यादा स्वार्थी समाज की संवेदनहीनता !!
जिसने बालक को श्रमिक बनने को बाध्य किया,
लेखनी को छीन कोमल हाथों में छड़ी पकड़ाया !!

गाय-बकरी की सेवा करता बाल्यजीवन कुरूप,
अपने भविष्य को दरिद्र करता अज्ञान और अबूझ !!
विदयोपार्जन की किसको फुर्सत? स्थिति तो ऐसा हुआ,
दो दाना अन्न के लिए बालपन चोर बनने को आतुर हुआ !!

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