लव कोट्स हिंदी में | Love Quotes in Hindi

Love Quotes in Hindi – हमारे मस्तिष्क में विभिन्न भावनात्मक भावनाएँ होती हैं उनमें से “प्रेम या प्यार” एक हैं. प्रेम एक सकारात्मक अनुभव हैं जो पारस्परिक स्नेह से सरल आनन्द तक होता हैं. प्यार एक मजबूत आकर्षण और व्यक्तिगत लगाव की भावना को दर्शाता हैं.

दार्शनिक दृष्टि से प्यार या प्रेम चार प्रकार के होते हैं –

  1. पारिवारिक प्रेम ( Family Love ) – इसमें घर के सदस्य और रिश्तेदार आते हैं जिनसे हमारा लगाव हो जाता हैं और जिनसे हम प्रेम करने लगते हैं.
  2. मैत्रीपूर्ण प्रेम ( Friendly Love ) – इसमें मित्र, साथ काम करने वाले, पढने वाले, खेलने वाले और अन्य लोग भी सामिल होते हैं.
  3. रोमांटिक प्रेम ( Romantic Love ) – इसमें महिला मित्र और बीबी मुख्य रूप से आती हैं.
  4. दिव्य प्रेम ( Divine Love ) – ईश्वर भक्ति, प्रकृति प्रेम, जानवरों के प्रति प्रेम, आध्यात्म आदि

प्यार पर हिंदी कोट्स | Hindi Quotes on Love

प्यार ईश्वर का ही एक रूप हैं किसी को सच्चा प्यार हो जाएँ तो उसे किसी और चीज की जरूरत नही होती हैं.

जो हृदय ख़ुशी और विचारो को शुद्ध कर दे वही सच्चा प्यार हैं.

प्यार को शब्दों से नही समझा जा सकता हैं यह एक अहसास होता हैं.

प्रेम में बड़ी ताकत होती हैं और इससे किसी को भी अपने वश में किया जा सकता हैं.

प्यार का मतलब पाना नही होता हैं, प्यार का मतलब त्याग होता हैं.

यदि आप किसी को अपनी सबसे प्रिय वस्तु देकर प्रसन्न हो जाते हैं इसका मतलब आपको उससे प्रेम हैं.

प्यार को समझना हो तो पाँच मिनट अपनी माँ के बारे में सोचना, तुम्हे प्यार का अहसास होगा.

प्यार बहुत ही अनोखा होता हैं ये हर किसी को ख़ुशी देता हैं.

सच्चा प्यार आपके जीवन को बेहतर बनाता हैं और झूठा प्यार आपके जीवन को बदतर बनाता हैं.

सच्चा प्यार सबके नसीब में नही होता हैं.

प्रेम से हमें सकारात्मक उर्जा मिलती हैं जो मन-मस्तिष्क को प्रसन्न रखता हैं.

प्यार के अहसास का होना ही जीवन हैं.

हर व्यक्ति से कोई-न-कोई प्यार जरूर करता हैं पर पता कुछ लोगो को ही चल पाता हैं.

“I Love You” कहकर प्यार को व्यक्त किया जा सकता हैं, पर उसे पूरी तरह समझा नही जा सकता हैं.

प्रेम की अनुभूति परमआनन्द देती हैं.

सच्चा प्रेम होना या ईश्वर का मिलना दोनों ही एक बात हैं.

हर धर्म की बुनियाद प्रेम पर ही आधारित होती हैं.

प्रेम विहीन हृदय का प्राणी पशु सामान होता हैं.

इस पृथ्वी पर हर किसी को प्रेम होता हैं – ईश्वर से, प्रकृति से, खुद से, माँ-बाप से, बहन से, पत्नी से, भाई से और पूरी दुनिया से.

दार्शनिक रूप से प्रेम के चार रूप होते हैं – पारिवारिक प्रेम, मत्रिपूर्ण प्रेम, रोमांटिक प्रेम और दिव्य प्रेम.

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