लालबहादुर शास्त्री और मौत के समझौते का क्या था सच?

जब कोई भी बात मन-मस्तिष्क में बार प्रश्न उठाये तो सच और झूठ में फर्क करना बड़ा ही मुश्किल हो जाता हैं. भारत में बहुत सारे राजनेताओ की मृत्यु रहस्यमय तरीके से हुई हैं जिनमें से भारत के दुसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री भी एक थे. देश में “जय जवान जय किसान” का नारा देने वाले प्रधानमंत्री के मौत का राज आज भी एक रहस्य हैं.

‘ताशकंद समझौता’क्या था? (What was Tashkent Agreement )

1965 में, जम्मू-कश्मीर के क्षेत्र में नियंत्रण रेखा पार कर बड़ी संख्या में पाकिस्तानी फ़ौज घुस गई. तब भारत के तत्कालीन प्रधान मंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने भारतीय सेना को नियंत्रण रेखा पार कर पकिस्तान के अंदर घुस कर उसके क्षेत्र को कब्ज़ा करने का आदेश दे दिया. इस युद्ध को बढ़ता देख रूस और अन्य देश के नेताओ ने युद्ध बंद करने का सुझाव दिया कि युद्ध बंद कराया जाए. युद्ध विराम और भारत-पाकिस्तान के बीच शांति को बढ़ाने के प्रयास से सोवियत रूस के ताशकंद में भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री  और पाकिस्तान के प्रधानमत्री अय्यूब खां के बीच लम्बी वार्ता के बाद यह समझौता हुआ.

ताशकंद समझौते की पूरी जानकारी (Complete Information on Tashkent Agreements)

मौत की वजह हार्टअटैक या जहर?

Lal Bahadur Shastri Dead Body

इस समझौते के बाद ताशकंद में एक पार्टी हुई जिमसे शामिल होने के बाद रात 10 बजे लालबहादुर शास्त्री जी अपने होटल के कमरे में आ गये. अगली सुबह साथ बजे शास्त्री जी का विमान काबुल के लिए रवाना होने वाला था लेकिन वह सुबह कभी आई ही नही. पार्टी में थोडा बहुत खा लेने की वजह से शास्त्री जी को भूख नही थी. उन्होंने रात में बहुत ही हल्का भोजन किया. शास्त्री जी ने रात में अपने घर फ़ोन करके दिल्ली बात भी की. ताशकंद समझौते के संभावित प्रतिक्रिया से शास्त्री जी थोड़े बेचैन थे और वे होटल के रूम में ही इधर-उधर टहल रहे थे. लालबहादुर शस्त्री को 1964 में माइनर हार्ट अटैक हो चुका था. शास्त्री जी की निजी सेवक रामनाथ ने उन्हें दूध दिया जो वो अक्सर सोने से पहले पिया करते थे. फिर शास्त्री जी टहलने लगे और थोड़ी देर बाद उन्होंने पीने के लिए पानी माँगा. रामनाथ ने रखे थर्मस से थोडा पानी निकल कर दे दिया. रात काफी हो चुकी थी, शास्त्री जी ने राम नाथ को अपने कमरे में जाकर सोने को कहा क्योकि सुबह काबुल के लिए निकलना था.

रात में करीब 1:20 मिनट पर शास्त्री जी तबियत खराब हुई और डॉक्टरों को बुलाया गया लेकिन 1:30 (भारतीय समय 2:00) बजे तक उनकी मृत्यु हो चुकी थी. शास्त्री जी की मौत कैसे हुई क्या सच में उन्हें दिल का दौरा पड़ा था. मरने के पश्चात उनका शरीर नीला पड़ गया था और उनके शरीर पर चीरे के भी निशान थे.

क्यों उठते है मौत पर सवाल?

कुछ ऐसे प्रश्न है शायद जिसका उत्तर कोई नही दे सकता हैं और इसी वजह से हत्या की आशंका उत्पन्न होती हैं.

  1. लालबहादुर शास्त्री जी के पोस्टमार्टम रूस या भारत में क्यों नही हुआ?
  2. उनका निवास स्थान एकांत स्थान पर क्यों था?
  3. शस्त्री जी के आसपास मूल-भूत सेवाएँ – घंटी, टेलीफोन और चिकित्सक क्यों नही थे?
  4. एकांत में करना और तब मारना जिससे कोई गवाह न रहे?
  5. कुछ समय पश्चात दोनों गवाहों निजी सहायक और डॉक्टर की मौत क्यों हुई?

अगर हम इन प्रश्नों के बारे में सोचे तो यही पता चलता हैं कि पाकिस्तान जो 1965 के युद्ध में बुरी तरह पराजित हो गया था, क्या उसके गुप्तचरों ने उनके खाने पीने में चोरी चुपके जहर मिला दिया हो.

गवाहों की मौत भी अपने आप में एक प्रश्न?

जैसे-जैसे दिन बीतते गये, शास्त्री परिवार और अधिक आश्वस्त हो गया कि उन्हें जहर दिया गया था. 2 अक्टूबर1 970 को (लालबहादुर शास्त्री का जन्मदिन) ललिता शास्त्री ने अपने पति की मौत की जांच के लिए कहा.

हैरानी की बात यह हैं कि दोनों गवाह डॉक्टर आरएन चुग और निजी सहायक रामनाथ  की रोड एक्सीडेंट में मौत हो गई थी, दोनों की मौत अलग-अलग दिन रोड एक्सीडेंट में हुई जब वे नारायण कमेटी को गवाही देने जा रहे थे.

इंदिरा गांधी को फ़ायदा

Lal Bahadur Shastri Death in Tashkent
शास्त्री जी के मौत के पीछे कौन लोग हो सकते थे रूस? पकिस्तान? सीआईए?  या इंदिरा गांधी? इस बात को समझ पाना मुश्किल था. पकिस्तान ने ताशकंद समझौते पर जल्द ही हस्ताक्षर किया था इसलिए वह ऐसी गलती नही करता कि युद्ध की हालत फिर बन जाए. रूस से भारत के रिश्ते काफी अच्छे थे इसलिए रूस ऐसा नही कर सकता हैं. लोग यह अनुमान लगाते हैं कि इंदिरा गांधी ने गलत भूमिका निभाई थी. इंदिरा गांधी पार्टी के अंदर बिना किसी विरोध और गतिरोध के देश का नेतृत्व करना चाहती थी. उस समय भी सच का पता नही था और आज भी यह एक रहस्य ही हैं.

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