इंतज़ार शायरी | Intezaar Shayari | Tera Intezaar Shayari

तेरे इन्तजार में यह नजरें झुकी हैं,
तेरा दीदार करने की चाह जगी हैं,
न जानू तेरा नाम, ना तेरा पता,
न जाने क्यूँ इस पागल दिल में
एक अनजानी सी बेचैनी जगी हैं.


यकीन हैं कि न आएगा मुझसे मिलने कोई,
तो फिर इस दिल को मेरे इंतज़ार किसका हैं.


तू मुझे याद करे न करे तेरी ख़ुशी,
हम तो तुझे याद करते रहते हैं,
तुझे देखने को दिल तरसता रहता हैं
और हम इंतज़ार करते रहते हैं.


जीने की ख्वाहिश में हर रोज मरते हैं,
वो आये न आये हम इंतजार करते हैं.


इन्तजार रहता हैं हर शाम तेरा,
यादें काटती हैं ले लेकर नाम तेरा.


नजरें मेरी कहीं थक न जाएँ,
बेवफ़ा तेरा इंतजार करते-करते,
ये जान यूँ ही निकल न जाएँ
तुम से इश्क का इंतजार करते-करते.


इंतजार अक्सर वही अधूरे रह जाते हैं,
जो बहुत शिद्दत से कए जाते हैं.


कई शाम गुजर गई, कई रातें गुजर गई,
ना गुजरा तो सिर्फ़ एक लम्हा वो तेरे इन्तजार का.


जिन्दगीं हसीं हैं, इससे प्यार करों,
हर रात की नई सुबह का इंतज़ार करों.


मेरी उम्मीद
मेरा इंतज़ार
मेरा इश्क कायम हैं
बेसक तू अजनबी बन जा.

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