इंतज़ार शायरी | Intezaar Shayari | Tera Intezaar Shayari

कोई मिलता ही नहीं हमसे हमारा बनकर,
वो मिले भी तो एक किनारा बनकर,
हर ख्वाब टूट के बिखरा काँच की तरह,
बस एक इंतज़ार है साथ सहारा बनकर।


कुछ बातें करके वो हमें रुला के चले गए,
हम न भूलेंगे यह एहसास दिला के चले गए,
आयेंगे कब वो अब तो यह देखना है उम्र भर,
बुझ रही है आग जिसे वो जला कर चले गए।


एक आरज़ू है अगर पूरी परवरदिगार करे,
मैं देर से जाऊं और वो मेरा इंतज़ार करे।


तेरे इंतजार में कब से उदास बैठे हैं,
तेरे दीदार में आँखे बिछाये बैठे हैं,
तू एक नजर हम को देख ले बस,
इस आस में कब से बेकरार बैठे हैं।


आँखें भी मेरी पलकों से सवाल करती हैं,
हर वक़्त आपको ही बस याद करती हैं,
जब तक ना कर लें दीदार आपका,
तब तक वो आपका इंतज़ार करती हैं।


ग़जब किया तेरे वादे पर ऐतबार किया,
तमाम रात किया क़यामत का इंतज़ार किया।


हर वक्त तेरे आने की आस रहती हैं,
हर पल तुझसे मिलने की प्यास रहती हैं,
सब कुछ है यहाँ बस तू नही
इसलिए शायर ये ज़िन्दगी उदास रहती हैं.


उनकी अपनी मर्जी हो तभी वो बात करते हैं,
मेरी आशिकी भी ग़जब है सारा दिन इन्तजार करते हैं.


इन्तजार की आरजू अब खो गई हैं,
अगर है तो एक मोहब्बत जो इन तन्हाइयों से हो गई हैं.


किसी रोज होगी रौशन मेरी भी तन्हा जिन्दगी,
इंतज़ार सुबह का नहीं तेरे लौट आने का हैं..

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