इन्सल्ट शायरी | Insult Shayari | Love Insult Shayari

क्या मस्त मौसम आया हैं,
हर तरफ पानी ही पानी लाया हैं,
तुम घर से बाहर मत निकलना,
वरना लोग कहेंगे बरसात हुई नहीं
और मेढक निकल आया हैं.


वो भी क्या दिन थे,
जब हम हसीनों से गले मिला करते थे,
यह उन दिनों की बात हैं,
जब हम दो साल के हुआ करते थे.


तेरे प्यार में बरसों से प्यासा हूँ सनम
इस तरह से हमने इजहार कर दिया
और उन्होंने पानी की पाइप मुंह में
डालकर मोटर चला दिया.
Love Insult Shayari


जी करता हैं तेरे पास आउँ,
तेरे पास आकर रूक जाउँ,
न बैठू, न बोलूँ
अब तेरी इन मदहोश आँखों में,
संतरे का छिलका निचोड़ के भाग जाउँ.


जब तू होती थी मेरी जिन्दगी में
तो तेरे मेरे इश्क के चर्चे बहुत थे,
अच्छा ही हुआ जिन्दगी से चली गयी तू
क्योकि तेरे खर्चे ही बहुत थे.


वो मेरी किस्मत मेरी तकदीर हो गयी,
हने उनकी याद में इतने खत लिखे कि
वह रद्दी बेचकर ही अमीर हो गयी.


आप हमारे दिल में कुछ इस तरह समां गए हो,
आप हमारी जिन्दगी में कुछ इस तरह आ गए हो,
जैसे हरे भरे खेत में कुछ सांड घुस गए हो.


पहली नजर में लगा वो मेरी हैं,
आँखे उसकी झील सी गहरी हैं,
प्रपोज कर-कर के था गया
तब जाके पता चला कि वो तो बहरी हैं,


आखों से आसुओं की विदाई कर दो,
दिल से ग़मों की जुदाई कर दो,
गर फिर भी दिल न लगे कहीं,
तो मेरे घर की पुताई कर दो.


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