पनाहों में जो आया हो तो उस पे वार क्या करना,
जो दिल हारा हुआ हो उस पे फिर अधिकार क्या करना,
मोहब्बत का मज़ा डूबने की कश्मकश में हैं,
हो गर मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना.
तूफ़ानो से आँख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो,
मल्लाहो का चक्कर छोड़ो, तैर कर दरिया पार करो.
आम आदमी पार्टी को देखो, जहाँ-तहाँ देती हैं धरना,
इनको भी सिखाओ वतन से इश्क करना.
हमने दुःख के महासिन्धु से सुख का मोती बीना हैं,
और उदासी के पंजो से हँसने का सुख छीना हैं.
हम ना समझे थे बात इतनी सी,
ख्वाब शीशे के दुनिया पत्थर की.
बोलता ज्यादा हूँ पर नेता नहीं हूँ,
बिना मतलब के किसी को कुछ देता नहीं हूँ.