Politics Shayari | राजनीति पर शायरी

आत्महत्या की चिता पर देखकर किसान को
नींद कैसे आ रही हैं देश के प्रधान को.


सियासत इस कदर अवाम पे अहसान करती है,
पहले आँखे छीन लेती है फिर चश्में दान करती है.


जिसकी जो नियत थी उसने वो बहाया,
किसानो ने दूध तो सरकार ने खून बहाया.


कागज के इंसानो पर आग की निगरानी है,
अंधी सत्ता के हाथों मासूमो को जान गवानी है.


सियासत को लहू पीने की लत है,
वरना मुल्क में सब खैरियत है.


दूर से देखके गर्मी में रेत को पानी समझ लिया,
कुछ अच्छे लोगों ने अहंकार में खुद को सर्वज्ञानी समझ लिया.


युद्धों में कभी नहीं हारे , हम डरते है छलचंदो से
हर बार पराजय पाई है , अपने घर के जयचंदो से


ये तेरे मन का खोट है जो तुझे सोने नहीं देता,
मत दे दोष किसी को वक्त किसी का नहीं होता.


जहां हर दिन सिसकना है जहां हर रात गाना है !!
हमारी ज़िन्दगी भी एक तवायफ का घराना है !!


जिंदगी में समस्या तो हर दिन नई खड़ी है,
जीत जाते है वो जिनकी सोच कुछ बड़ी है.


अब कोई और न धोखा देगा,
इतनी उम्मीद तो वापस कर दे.
हम से हर ख़्वाब छीनने वाले,
हमारी नींद तो वापस कर दे..


किसी को चांद चमकता नजर आता है
किसी को उसमें दाग नज़र आता है ..


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