ख़ामोशी से बिखरना आ गया हैं,
हमें अब खुद उजड़ना आ गया हैं,
किसी को बेवफा कहते नही हम
हमें भी अब बदलना आ गया हैं.
बहुत नाराज हैं, कोई शख्स तेरे जाने से,
हो सके तो तू लौट आ, किसी बहाने से,
तू लाख खफ़ा सही मगर एक बार तो देख,
कोई टूट गया हैं, तेरे दूर जाने से…
हजारों अश्क मेरी आँखों की हिरासत में थे,
फिर तेरी याद आई और इन्हें जमानत मिल गई…!!!
चल हो गया फैसला कुछ कहना ही नही…
तू जी ले मेरे बगैर मुझे जीना ही नही…
न दर्द था न ख़लिश न तिलमिलाना था,
किसी से इश्क न था वो भी क्या जमाना था…
किसी की याद में रोते नही हम,
हमे चुपचाप जलना आ गया हैं,
गुलाबों को तुम अपने पास ही रखो,
हमें काटों पे चला आ गया हैं.