प्लेन से आये तो
क्रैश हो जाए…
ट्रेन से आये तो
मिस हो जाए…
बस से आये तो
पंक्चर हो जाए…
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खुदा करे कोई भी
गम आपके पास
पहुँच ही ना पायें…
बिकता हैं गम हँसी के बाज़ार में,
लाखों दर्द छिपे होते हैं एक छोटे से इनकार में,
वो क्या समझ पायेंगे प्यार की कशिश,
जिन्होंने फ़र्क ही नहीं समझा पसंद और प्यार में…
तेरे प्यार की रौशनी ऐसी हैं कि
हर तरफ़ उजाला नजर आता हैं,
सोचता हूँ घर की बिजली कटवा दूँ,
कमबख्त बिल बहुत ज्यादा आता हैं…
मुझ से ब्रेकअप करके तू बन गयी उल्लू,
मैंने तो नयी पट ली, तुझे क्या मिला ‘बाबा जी का ठुल्लू’…
आँसू टपक पड़े, बेरोजगारी के उस अहसास पर ग़ालिब,
जब ‘माँ’ ने कहा – “बेटा खली बैठा है मटर ही छील ले”…
लगता था उनसे बिछड़ेंगे तो मर जायेंगे,
कमाल का वहम था कमबख्त ‘बुखार तक नही आया’…
मौत मांगते हैं तो जिन्दगी खफ़ा हो जाती हैं,
जहर लेते हैं तो वो भी दवा हो जाती हैं…
जिन्दगी में आईना जब भी उठाया करों…
पहले देखो…फिर दिखाया करों…