धड़कनो मे बस्ते है कुछ लोग,
जबान पे नाम लाना जरूरी नही होता.
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इतने शरीफ़ भी नही हम,
तू वक्त गुजारे और मैं मोहब्बत समझ लू.
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जमाना खिलाफ हो क्या फर्क पड़ता है,
मैं तो जिंदगी आज भी अपने अंदाज मे जीता हूँ.
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तुम भी सही हो, मैं भी सही हूँ,
बस यही एक बात गलत हैं.
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सुना हैं आज समंदर को बड़ा गुमान आया हैं,
उधर ही ले चलो किश्ती जहाँ तूफ़ान आया हैं.
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उसने एक ही बार कहा “दोस्त हूँ”
फिर मैंने कभी नही कहा “वयस्त हूँ”
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